जमीन पर न उतर सकीं अरबों की रेल परियोजनाएं

दिलीप सिंह, अमेठी। सरकार क्या बदली, योजनाओं की रफ्तार भी थम गई यहां। विकास मीलों पीछे और राजनीति कोसों आगे हो गई है। अमेठी व रायबरेली के लोगों की उम्मीदें "राजनीतिक शिकार" हो गई हैं। यहां कभी गाजे-बाजे के साथ शिलान्यास की गई अरबों की रेल परियोजनाओं की शिलाएं अपनी दुर्दशा पर जार-जार रो रही हैं।

यह तो बानगी भर है जनाब। न जाने और कितनी योजनाएं अपने पूरा होने की बाट जोह रही हैं। अरबों की रेल परियोजनाओं को बीस माह बाद भी अमेठी-रायबरेली में जमीन नसीब नहीं हो पाई है। पिछले साल आम चुनाव के ठीक पहले रेल मंत्रालय ने अमेठी के सलोन क्षेत्र में बड़ा कार्यक्रम आयोजित कर एक साथ तीन रेल पथ के निर्माण की आधारशिला रखी थी।

तीनों का निर्माण 13 अरब 31 करोड़ रुपये की लागत से होना है। संप्रग सरकार के अंतिम वर्ष में योजना को रफ्तार देने के लिए की गई भरसक कोशिशें महज बोर्ड के निर्माण तक ही पहुंचीं जो रायबरेली रेलवे स्टेशन के पास अब धूल फांक रहे हैं। जिलाधिकारी जगतराज कहते हैं कि रेलवे लाइन निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है।

कांग्रेस जिलाध्यक्ष योगेंद्र मिश्र की मानें तो मेगा फूड पार्क, हिदुस्तान पेपर मिल की तरह ही रेल परियोजनाओं के साथ मोदी सरकार राजनीति कर रही है। संप्रग सरकार में ही तीनों रेल परियोजनाओं के लिए बजट का आवंटन हो गया था। फिर भी अभी तक इन परियोजनाओं पर कोई खास काम नहीं हुआ जबकि यह तीनों रेल परियोजनाएं जनहित से जुड़ी हुई हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *