गंगा सफाई के नाम पर 1985 से लेकर अब तक नौ हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए जा चुके हैं। मोदी सरकार ने भी करीब दो हजार करोड़ रुपये का एकमुश्त बजट जारी किया है। नमामि गंगे परियोजना से पहले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं पांच राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गंगाजल पर रिपोर्ट दी, जिसमें भयावह प्रदूषण बताया गया। किंतु क्लीन गंगा मिशन में केंद्र ने जिस जांच रिपोर्ट पर गंगा सफाई अभियान आगे बढ़ाया, उसने मुहिम पर ही प्रश्न खड़ा कर दिया। इस रिपोर्ट के मुताबिक गंगा नदी में उत्तराखंड से लेकर कोलकाता तक कोई प्रदूषण नहीं है।
मेरठ के डॉ. संजीव अग्रवाल की आरटीआई से खुलासा हुआ कि नेशनल क्लीन गंगा मिशन के आंकड़ों में गंगाजल के पीएच, डीओ, बीओडी एवं कोलीफार्म के स्तर को संतुलित बता दिया गया। पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. नीरज का कहना है कि जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। ऐसे में तो गंगा सौ वर्षों में भी साफ नहीं होगी। गंगाजल में कोलीफार्म डीओ और बीओडी की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है।