हाल ही में एक्सीडेंटल मौतों और आत्महत्याओं का डाटा एनसीआरबी ने जारी किया है। इससे पता चलता है कि 2014 में सशस्त्र बलों में से 175 जवानों ने आत्महत्या की, जिनमें से 73 महिलाएं (यानी करीब 41.7 फीसद) थीं। इन बलों में बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ और अन्य अर्धसैनिक बल आते हैं।
बीपीआरडी के डाटा से पता चलता है कि इन बलों में करीब 9.3 लाख जवान शामिल हैं। इसमें से 9.1 लाख पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या करीब 18 हजार से कुछ ही अधिक होगी। इसका अर्थ यह है कि अर्धसैनिक बलों में महिलाओं की आत्महत्या की दर 396.9 प्रति लाख है, जबकि पुरुषों की आत्महत्या की दर 11.2 प्रति लाख है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि सुरक्षा बलों में पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक तनाव का सामना करती हैं।
सुरक्षा बलों में पुरुषों के आत्महत्या करने की दर आम आबादी में पुरुषों के आत्महत्या करने की दर (13.9 प्रति लाख) से कम है। हालांकि, महिलाओं के लिए बलों में आत्महत्या करने की दर आम आबादी में महिलाओं के आत्महत्या करने की दर (7.1 प्रति लाख) से काफी अधिक है।
एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि वैवाहिक परेशानियों के कारण सबसे अधिक जवानों ने आत्महत्या की। कुल 45 जवानों ने शादी से जुड़े मामलों जैसे दहेज हत्या, विवाहेत्तर संबधों के कारण आत्महत्या की। इनमें से 24 पुरुष और 24 महिलाएं शामिल थीं। इसके अलावा अन्य कारणों से 43-43 महिला और पुरुष जवानों ने आत्महत्या की।