भोपाल। प्रदेश के 90 मुख्य जिला मार्ग (एमडीआर) और 437 अन्य सड़कों के निर्माण में डामर (बिटुमिन) में ठेकेदारों ने रिफाइनरियों से डामर खरीदने के मूल बिल ही नहीं दिए और लोक निर्माण विभाग ने 105 करोड़ करोड़ का भुगतान कर दिया। यह खुलासा बुधवार को विधानसभा में टेबल हुई कैग की रिपोर्ट में हुआ है। कैग ने बताया कि 200 सड़कों का नवीनीकरण राष्ट्रीय राजमार्ग या राज्य राजमार्गों के पैमाने पर प्रमुख अभियंता के निर्देशों को दरकिनार कर किया गया। इससे निर्माण लागत 30 करोड़ रुपए बढ़ गई।
जांच में सामने आया कि मुख्य जिला सड़क, जिला या ग्रामीण सड़कों की तीन-छह साल के भीतर सतह सुधारी जाती है। प्रमुख अभियंता ने 1992 में ये निर्देश दिए थे कि सड़कों का नवीनीकरण सतरह की ड्रेसिंग पद्धति से किया जाए, लेकिन 53 मुख्य जिला और 147 ग्रामीण सड़क का नवीनीकरण ड्रेसिंग पद्धति की जगह राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य राजमार्गों के लिए स्वीकार्य पद्धति से कर दी। अप्रैल 2010 से मार्च 14 के बीच नई पद्धति से किए काम की वजह से निर्माण लागत 30 करोड़ रुपए बढ़ गई।
इसी तरह सड़कों की मरम्मत और रखरखाव की ठेका शर्त में ठेकेदारों को डामर काम का भुगतान सार्वजनिक क्षेत्र से डामर खरीदी का मूल बिल देने पर किए जाने का प्रावधान है, लेकिन 90 मुख्य जिला सड़क, 437 अन्य जिला व ग्रामीण सड़कों के डामर कार्यों के लिए जो 527 ठेके दिए गए थे उनके ठेकेदारों को मूल बिल प्रस्तुत किए बगैर 105 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया।
इन संभागों में बिना बिल डामर का भुगतान: सीहोर, विदिशा, रायसेन, ग्वालियर, नीमच, मंदसौर, छतरपुर, बालाघाट, कटनी, देवास, बड़वानी, सागर, उज्जैन, रीवा, बुरहानपुर और टीकमगढ़।
नोट: संभाग लोक निर्माण विभाग के हैं।