आदिमजाति विकास और स्कूल शिक्षा के 10 अफसर निलंबित

रायपुर। आदिवासी मेधावी छात्रों को बंधक बनाने के मामले में स्कूल शिक्षा एवं आदिमजाति-जनजाति विकास विभाग मंत्री केदार कश्यप ने कड़ी कार्रवाई कर दी। ‘नईदुनिया’ की खबर पर संज्ञान लेते हुए स्कूल शिक्षा विभाग के पांच और आदिम जाति विकास विभाग के पांच अफसरों को निलंबित कर दिया गया है। तत्कालीन रायपुर डीईओ (जिला शिक्षा अधिकारी) समेत दो को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।

इसमें तत्कालीन डीईओ एनके बंजारा को जारी नोटिस में कहा गया है कि क्यों न आपको सस्पेंड कर दिया जाए। चूंकि आईएएस व पूर्व आयुक्त एनके खाखा इस विभाग के अधीन नहीं हैं, सूत्रों ने बताया कि उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए मंत्री ने सामान्य प्रशासन विभाग को सिफारिश भेज दी है।

इससे पहले आदिवासी विकास के सहायक आयुक्त तारकेश्वर देवांगन और नोडल प्राचार्य दिलेश्वर सिंह धु्रव को निलंबित किया जा चुका है। इन पर आरोप थे कि इन्हीं की रिपोर्ट के आधार पर वेदांता स्कूल को आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विद्यार्थी उत्कर्ष योजना के तहत चुना गया था। सूत्रों ने बताया कि सरकार ने नईदुनिया की 22 जुलाई की खबर को काफी गंभीरता से लिया और तत्काल कार्रवाई कर दी गई।

खाखा को सब पता था

‘नईदुनिया’ को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक आदिमजाति विकास विभाग के तत्कालीन आयुक्त एनके खाखा पर कार्रवाई के लिए मंत्री केदार कश्यप ने सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र लिखा है। आयुक्त के नाते उन्हें तत्कालीन सहायक आयुक्त तारकेश्वर देवांगन ने स्कूल के गायब होने की सूचना दी थी, लेकिन उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इस कारण मंत्री ने श्री खाखा को भी कार्रवाई के दायरे में लिया है।

क्या था मामला

वेदांता स्कूल का संचालक सतीश शर्मा आदिवासी छात्र कुशल पात्र, प्रदीप कुमार और मयंक मरकाम को पढ़ाने के बजाय अपने घर पर रखकर घरेलू काम करवाता था। इस खुलासे के बाद से स्कूल शिक्षा, आदिम जाति विकास विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। आरोपी संचालक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, जिसे कोर्ट ने जेल भेज दिया। ‘नईदुनिया’ लगातार मान्यता देने में बरती गई गड़बड़ी पर खबरें प्रकाशित करता चला आ रहा है।

स्कूल शिक्षा के अफसरों को कारण बताओ नोटिस-

-एएन बंजारा, पूर्व डीईओ रायपुर, वर्तमान में दुर्ग डीईओ।

क्यों जिम्मेदार- स्कूल के आवेदन आते ही उन्होंने मान्यता प्रक्रिया शुरू कर दी है। 3 महीने में मान्यता जारी कर दी है।

-विद्या सक्सेना, प्राचार्य, शासकीय उच्च. मा. विद्यालय शांति नगर

क्यों जिम्मेदार- ये नोड्ल प्राचार्य थीं, इन्हें अपने क्षेत्र में आने वाले निजी स्कूलों की मॉनीटरिंग करनी थी, जो नहीं की गई।

निलंबन की गाज इन पर-

1. रितू सुड़ंगे, प्रभारी प्राचार्य, शासकीय उच्च. मा. विद्यालय, मोवा। मान्यता कमेटी की सत्यापन अधिकारी थी, इन्होंने गलत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

2. वाईके भगत, प्राचार्य, शासकीय उच्च. मा. विद्यालय बनौदा, जिला बालोद

3. संजय जौहरी, शासकीय उच्च. मा. विद्यालय, आरएस धूड़, चौकी, राजनांदगांव

4. बीके बहरूपी, तत्कालीन व्याख्याता, शासकीय उच्च. मा. विद्यालय, बलौदा (वर्तमान में प्रयास में पदस्थ)

5. आरके साहू, शासकीय कन्या शिक्षा परिषद्, चौकी, राजनांदगांव

style="text-align: justify"> आदिमजाति विकास विभाग के निलंबित-

1. एमके रघुवंशी, सहायक संचालक- दिसंबर 2014 को झूठ प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

2. आरआर ठाकुर, तत्कालीन सहायक संचालक।

3. दिप्ती बैनर्जी, उपआयुक्त।

4. माया बेरियर, सहायक आयुक्त।

5. आरके पटेल, तत्कालीन सहायक संचालक।

होगी कड़ी कार्रवाई

जवाहर उत्कर्ष योजना के अंतर्गत आदिवासी बच्चों के भविष्य के साथ जिस तरह से लापरवाही सामने आई है। इसमें संलिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है। शिक्षा और आदिवासी बच्चों के मुद्दों पर भविष्य में भी लापरवाही हुई तो इसी तरह कड़ी कार्रवाई की जाएगी। केदार कश्यप, मंत्री स्कूल शिक्षा एवं आदिमजाति-जनजाति विकास विभाग

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