केंद्र की तीन योजनाओं से जुड़े दस करोड़ लोग

नितिन प्रधान, नई दिल्ली। अपने भविष्य और सामाजिक सुरक्षा के सरोकारों को लेकर शहरी महिलाओं की अपेक्षा ग्रामीण महिलाएं ज्यादा सजग और गंभीर हैं। सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी तीन स्कीमों के आंकड़े तो कम से कम यही जाहिर कर रहे हैं। इन तीनों स्कीमों में पंजीकरण की संख्या को देखें तो शहरी महिलाओं की तुलना में ग्रामीण महिलाएं आगे रही हैं।

प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) और अटल पेंशन योजना (एपीवाई) में 16 जुलाई तक दस करोड़ से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं। इनमें से ग्रामीण महिलाओं की संख्या दो करोड़ के काफी करीब 1.98 करोड़ हो चुकी है। जबकि इन स्कीमों से जुड़ने वाली शहरी महिलाओं की संख्या इस तारीख तक 1.93 करोड़ ही रही।

वित्त मंत्रालय के बैंकिंग विभाग से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक इन तीनों स्कीमों से जुड़ने वालों की संख्या में तेज वृद्धि की कई वजह हैं। पहली, इन स्कीमों में प्रीमियम की दर बेहद कम है। दूसरे इसमें कागजी कार्रवाई भी न्यूनतम है। प्रीमियम के भुगतान की व्यवस्था ऑटो डेबिट के जरिये है। पीएमजेजेबीवाई में दो लाख रुपये के जीवन बीमा के लिए सालाना 330 रुपये प्रीमियम देना होता है। 18 से 50 वर्ष तक की आयु वाले लोगों के लिए इसमें डेथ कवर की व्यवस्था है।

इसी तरह पीएमएसबीवाई में सालाना प्रीमियम की दर केवल 12 रुपये रखी गई है। इसके तहत दो लाख रुपये के दुर्घटना बीमा का प्रावधान है जिसमें प्राकृतिक आपदा में होने वाली मौत भी शामिल है। इसके अलावा स्थायी तौर पर विकलांग हो जाने पर भी दो लाख रुपये का बीमा कवर इस योजना में शामिल है। आंशिक रूप से विकलांगता के लिए एक लाख रुपये के बीमा कवर की इसके अंतर्गत व्यवस्था है।

जहां तक पेपर वर्क का सवाल है, तो सभी स्कीमों में ग्राहक को केवल जिस बैंक में खाता है, उसमें एक फॉर्म भरकर देना है। इसके तहत ग्राहक अपने बैंक को खाते में से सीधे प्रीमियम डेबिट करने का निर्देश भी दे सकता है। अधिकारियों ने बताया कि इन योजनाओं में इतने कम समय में ज्यादा लोगों के शामिल होने की एक वजह प्रधानमंत्री जनधन योजना की सफलता भी है। आठ जुलाई तक जनधन योजना में 16.63 करोड़ लोग खाता खुलवा चुके हैं। इनमें से 6.64 करोड़ खाते ग्रामीण इलाकों में हैं।

तीनों स्कीमों के आंकड़ों को अगर स्कीमों के लिहाज से अलग-अलग देखा जाए तो पता चलता है कि ग्रामीणों में पेंशन के मुकाबले जीवन बीमा और साधारण बीमा को लेकर ज्यादा गंभीरता है। जबकि शहरी इलाकों की महिलाएं अटल पेंशन योजना को लेकर ज्यादा सजग हैं।

चूंकि अटल पेंशन योजना में हर महीने योगदान करने की आवश्यकता है, संभवतः इस वजह से ग्रामीणों में इसे लेकर कम उत्साह है। लेकिन इसके चलते अधिकारी प्रीमियम भुगतान की व्यवस्था में किसी तरह के बदलाव की संभावना से इन्कार करते हैं।

 

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