बिहार के मांझी कृषि विज्ञान केन्द्र को बेस्ट केंद्र का अवार्ड देंगे पीएम मोदी- सुशील कुुमार सिंह

सारण जिले के मांझी कृषि विज्ञान केंद्र का चयन राष्ट्रीय स्तर पर बेस्ट कृषि विज्ञान केंद्र अवार्ड-2014 के लिए किया गया है। इस केंद्र में निर्धारित संख्या के आधे से भी कम कृषि वैज्ञनिक, सहायक व स्टाफ होने के बाद भी ‘बेस्ट’ का खिताब पाना अपने आप में महत्वपूर्ण व गौरवपूर्ण उपलब्धि है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 25 जुलाई को बिहार आगमन पर पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित कार्यक्रम में केंद्र के प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर रत्नेश झा को अवार्ड देंगे। पुरस्कार के रूप में चार लाख रुपये की राशि भी मिलेगी। इसे ले केंद्र के कार्यक्रम समन्वयक समेत अन्य कृषि वैज्ञानिकों व कर्मियों में खुशी की लहर दौड़ गई है। सभी इसे पिछले एक दशक के मेहनत का फल बता रहे हैं।

 

बिहार, पं. बंगाल, झारखंड व अंडमान निकोबार में बेस्ट
देश भर में स्थापित कुल 83 कृषि विज्ञान केंद्रों को आठ जोनों में बांटा गया है। बिहार, पं. बंगाल, झारखंड व अंडमान निकोबार को जोन-2 में रखा गया है। इस जोन में शामिल सभी केंद्रों में से मांझी कृषि विज्ञान केंद्र को बेस्ट अवार्ड-2014 के लिए चयनित किया गया है।

 

 

2006 में खुला था मांझी कृषि विज्ञान केंद्र
मांझी कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना को करीब एक दशक हो गया है। यह 2006 में खुला था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका शुभारंभ किया था। तब से ही रत्नेश झा इस केंद्र के प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर हैं। उनकी व्यवहार कुशलता के मांझी समेत आसपास के किसान कायल हैं।

 

 

निर्धारित संख्या से कम वैज्ञानिक फिर भी उपलब्धि
केंद्र के लिए सात वैज्ञानिक और नौ सहयोगियों की संख्या निर्धारित है, लेकिन एक दशक में यह संख्या कभी पूरी नहीं हो सकी। वर्तमान में प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर समेत तीन कृषि वैज्ञनिक ही हैं। इनमें को-ऑर्डिनेटर क्रॉप साइंस, कृषि वैज्ञानिक सुरेंद्र प्रसाद पौध संरक्षण और अर्चना कुमारी होम साइंस से जुड़ी हैं। इनके अलावा एक असिस्टेंट और एक ड्राइवर ही है। बावजूद केंद्र ने गौरवपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।

 

सूचना व प्रौद्योगिकी का कृषि क्षेत्र में क्या योगदान है, इस दिशा में यहां कार्य होता है। मौसम आधारित खेती, किसानों को प्रशिक्षण, मशरूम प्रशिक्षण इकाई, मशरूम बीज उत्पादन आदि का कार्य भी होता है। साथ ही ऑन फॉर्म ट्रायल के तहत किसी भी तकनीक का प्रयोग करने के बाद संबंधित किसान से फीडबैक लेकर ही अन्य किसानों को जानकारी दी जाती है। किस खेत में किस फर्टिलाइजर या वेराइटी का प्रयोग किया जाये, इसकी भी जानकारी दी जाती है।

 

पांच हजार किसानों को एक साथ मैसेज
केंद्र में कई तरह के कार्य होते हैं। कार्यक्रम समन्वयक बताते हैं कि एम किसान पोर्टल या फॉरमर्स एसएमएस पोर्टल के माध्यम से एक क्लिक में करीब पांच हजार किसानों को मैसेज भेजा जाता है। यदि कल बारिश की संभावना है तो यह मैसेज दिया जाता है कि किसान खेती के संबंध में जरूरी तैयारी कर लें। कुछ और किसानों की लिस्ट बनाई गई है और उन्हें भी इस माध्यम से जोड़कर लाभ पहुंचाने की योजनाहै। 
क्या कहते हैं कार्यक्रम समन्वयक
मांझी कृषिविज्ञान केंद्र का चयन बेस्ट कृषि विज्ञान केंद्र अवार्ड-2014 के लिए होना वाकई सारण के लिए गौरवपूर्ण उपलब्धि है। नि:संदेह यह मेरे और मेरी टीम के सदस्यों के एक दशक की मेहनत का फल है। काफी खुशी हो रही है। यह अवार्ड और भी बेहतर करने को प्रोत्साहित करेगा। 
रत्नेश झा, प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर, मांझी कृषि विज्ञान केंद्र

 

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