दरअसल, संसद की संयुक्त समिति की बैठक से कई मंत्रालयों के सचिव गायब रहे। इससे बैठक को टालना पड़ा। अब समिति के लिए 27 जुलाई तक रिपोर्ट देना असंभव हो गया।
लिहाजा समिति के अध्यक्ष एस एस आहलूवालिया ने रिपोर्ट जमा करने के लिए तीन अगस्त तक का समय मांगा है। इसका सीधा मतलब है कि संसद के मानसून सत्र में विधेयक के पेश होने की संभावना अब लगभग धूमिल हो गई है।
सचिवों ने किसी दूसरी व्यस्तता को बताते हुए बैठक में आने से परहेज किया। सचिवों को बैठक में अपना प्रजेंटेशन देना था। दरअसल, भूमि अधिग्रहण विधेयक को टालने के मूड में लग रही सरकार ने अब इससे इरादतन पल्ला झाड़ना शुरू कर दिया है।
सूत्रों ने बताया कि बैठक में सचिव योजनाबद्ध तरीके से गायब रहे, ताकि समिति को रिपोर्ट दर्ज करने में देरी हो। बैठक में शामिल एक विपक्षी दल के नेता ने कहा कि सचिवों को ‘जानबूझकर’ गायब रहने के लिए कहा गया है।
एक साथ ग्रामीण विकास, ऊर्जा, औद्योगिक और कृषि मंत्रालय के सचिवों के गायब होने की वजह से बैठक को 21 जुलाई के लिए टालना पड़ा। समिति को 27 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट देनी थी।
ऐसी परिस्थितियों में बिल का इस सत्र में आना मुश्किल लग रहा है। आयोजित बैठक में सदस्यों को बताया गया कि ज्यादातर सचिव संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू की ओर से बुलाई गई बैठक में जाने की वजह से आ नहीं पाए।
समिति में विपक्षी दल के एक सदस्य ने कहा कि बैठक पहले से तय थी। इसलिए एक ही तारीख में दो बैठकें करने का तर्क समझ नहीं आ रहा।