ऑर्गेनिक खेती का पर्यावरण पर बुरा असर

वाशिंगटन। भोजन की मांग को पूरा करने के लिए शुरू की गई ऑर्गेनिक खेती का पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है।

एक नई रिपोर्ट के अनुसार एक समय खाद्यान्न के "स्थायी हल" के तौर पर शुरू की गई ऑर्गेनिक खेती पृथ्वी के जलवायु के लिए खतरनाक साबित हो रही है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि इससे ग्रीनहाउस गैसों में कटौती होने की बजाय उनमें वृद्धि हो रही है। इस अध्ययन के लिए अमेरिका में वर्ष 2000 से 2008 के बीच ऑर्गेनिक और पारंपरिक खेती द्वारा उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों का अध्ययन किया गया है।

ओरेगॉन विश्र्वविद्यालय के समाजशास्त्री व शोधकर्ता जूलियस मक्गी के अनुसार, "बड़ा सवाल यह है कि पारंपरिक खेती से ऑर्गेनिक खेती की ओर मुड़ते समय हम क्या कर रहे थे और इसके पर्यावरणीय नतीजे क्या होंगे।" मक्गी कहते हैं कि ऑर्गेनिक खेती अभी अपने शुरुआती चरण में है और अभी तक इससे ग्रीनहाउस गैसों को कम होता नहीं देखा गया है।

गौरतलब है कि ऑर्गेनिक खेती की शुरुआत 1940 के दशक में अमेरिका में की गई थी। प्राप्त आकलन के अनुसार यह दावा किया गया कि कॉर्पोरेट द्वारा बड़े पैमाने पर की जाने वाली ऑर्गेनिक खेती में इससे जुड़े कई अभ्यासों को ताक पर रखा गया है। आर्गेनिक खेती वाले अधिकांश स्थानों पर लगातार एक ही फसल उगाई जाती है। इसके अलावा, उसमें इस्तेमाल की जाने वाली खाद और कीटनाशक भी आयात किए जाते हैं। यह सब इसके कार्बन फुटप्रिंट बढ़ाने में सहायक होते हैं।

मक्गी के अनुसार, "यह सब समस्याएं तकनीक के जरिये नहीं सुलझाई जा सकती। कृषि और जलवायु परिवर्तन के मामले का आधार केवल तकनीक से ही नहीं जुड़ा है। इसके सामाजिक निहितार्थ भी हैं। यह मामला कम समय में अधिकाधिक पैदावार प्राप्त करने की मंशा से भी जुड़ा है।"

 

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