आईआईटी के विशेषज्ञों ने जुलाई 2011 में यह अध्ययन शुरू किया था। इसके लिए केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने आर्थिक सहायता मुहैया कराई थी। इस साल जून में अध्ययन पूरा हो गया है। नवंबर में राज्य सरकार के साथ ही केंद्र सरकार को भी रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।
जिन इलाकों के जलमग्न होने की आशंका जाहिर की गई है उनमें साल्ट लेक, राजरहट-न्यू टाउन, ईएम बायपास, कस्बा, पार्क स्ट्रीट, बीबीडी बाग शामिल हैं। ये सभी घनी आबादी वाले इलाके हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, कोलकाता अलूवीअम (जलोढ़क) जैसी बहुत ही मुलायम मिट्टी पर बसा है। एक अंग्रेजी वेबसाइट ने रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि कोलकाता की सतह से 7.5 किमी नीचे तक मुलायम-चिकनी मिट्टी, कीचड़ और सड़ी हुई वनस्पति है। यह हिस्सा खोखला हो चुका है।
आईआईटी खड़गपुर के प्रोफेसर शंकर कुमार नाथ के मुताबिक, लिक्विफेक्शन के चलते कोलकाता पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। इसमें मिट्टी की पकड़ कमजोर होती है और पानी लगते ही वह बह जाती है। भूकंप के चलते समुद्र की लहरों में उछाल आया तो यह कोलकाता के लिए विनाशकारी हो सकता है।