आईआईटी प्रशासन ने दो सेमेस्टर में औसत 5 सीजीपीए से कम अंक प्राप्त करने वाले 73 छात्र-छात्राओं को घर भेजे जाने संबंधी नोटिस 19 जून को जारी कर दिया था। इसके बाद छात्र-छात्राओं और उनके परिजनों ने डीन एकेडमिक को प्रार्थनापत्र दिया। इसके बावजूद सभी छात्रों को निकाल दिया गया। वहां सुनवाई न होने पर निकाले गए छात्र शुभम समेत कुल 47 छात्रों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
हाईकोर्ट में आईआईटी रुड़की प्रशासन की तरफ से तर्क दिया गया कि पहले भी सीजीपीए कम होने की स्थिति में छात्र निकाले जाते रहे। ऐसा आईआईटी के प्रावधान में है। वहीं, बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने दलील दी कि इन छात्रों को बैक पेपर देने का मौका मिलना चाहिए।
इस मामले में जस्टिस सुधांसु धुलिया ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी निकाले गए छात्रों को भी बैक पेपर में बैठने का मौका दिया जाए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कल आईआईटी में पुर्नपरीक्षा है, इसमें निकाले गए छात्र यदि बैठना चाहते हैं तो बैठ सकते हैं। वहीं आईआईटी प्रशासन को काउंटर जवाब दाखिल करने के लिए 23 जुलाई से पहले का समय दिया गया है।