इसके बाद ये अधिकारी-कर्मचारी मैदान में उतरेंगे और जॉब कार्डधारी किसानों व महिलाओं को अनार की खेती के लिए प्रेरित करेंगे और उन्हें निःशुल्क अनार का पौधा उपलब्ध कराएंगे। निजी भूमि पर किसान अनार के पौधे लगाएगा और उसके फल के उत्पादन का लाभ खुद लेगा। तीन साल तक प्रति पौधा प्रति महीने पांच रुपए पौधों की देखरेख के लिए मनरेगा के तहत भुगतान भी दिया जाएगा। इस साल 1300 एकड़ में अनार की खेती कराई जाएगी।
इन गांवों का चयन
जिले के 9 संकुलों में अनार का प्लांटेशन व खेती कराई जाएगी। खन्नौधी, गोहपारु, पड़मनिया, चुहिरी, रसमोहनी, जैतपुर, लालपुर, पचगांव, हरदी-32 संकुल के 30 गांवों का चयन किया गया है। इन गांवों के उन जॉब कार्डधारी किसानों से अनार की खेती कराई जाएगी जिसके पास कम से कम आधा एकड़ भूमि हो। इस साल दो हजार किसानों से खेती कराने का लक्ष्य चुना गया है।
एक किसान को अधिकतम 280 अनार के पौधे दिए जाएंगे और प्रत्येक पौधे की देखरेख व उसके पालन पोषण के लिए तीन साल तक हर महीने प्रति पौधा पांच रुपए के हिसाब से भुगतान उद्यानिकी विभाग के माध्यम से किया जाएगा। पहले से समूह में कााम कर रही जॉब कार्डधारी महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
देखभाल का मिलेगा खर्च
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के कृषि विशेषज्ञ अनूपपुर तिवारी ने बताया कि इस साल से मनरेगा के तहत तीन नई उप योजनाएं शुरू की गई हैं जिसमें अनार का प्लांटेशन योजना शामिल है। इस योजना को उद्यानिकी विभाग के माध्यम से मूर्तरूप दिया जाएगा। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन को हितग्राहियों के चयन की जिम्मेदार दी गई है, जबकि पौधों के पालन पोषण व उस पर होने वाले खर्च का जिम्मा उद्यानिकी विभाग उठाएगा।
पौधरोपण के प्रति किसानों को प्रेरित करना और पर्यावरण की सुरक्षा का बोध कराने के उद्देश्य से अनार के प्लांटेशन का काम प्रदेश के चार संभागों में शुरू किया गया है जिसमें शहडोल भी शामिल है। इसके लिए अधिकारियों को प्रशिक्षण इसके लिए अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है और जल्दी ही मैदान में इसका क्रियान्वयन होगा।
मनरेगा से जुड़े किसानों से इस साल अनार का प्लांटेशन कराया जा रहा है। महिला हितग्राहियों को प्राथमिकता दी जाएगी। मनरेगा की उपयोजना को नए सिरे से लागू किया गया है, जिसके तहत शहडोल में अनार का प्लांटेशन कराया जा रहा है। पहली बार लगभग 1700 एकड़ में प्लांटेशन कराने का लक्ष्य तय किया गया है। किसान के निजी भूमि में यह प्लांटेशन होगा और किसान को पौधों के पालन पोषण के लिए तीन साल तक भुगतान भी किया जाएगा। -अनिल द्विवेदी, सीईओ, जिला पंचायत शहडोल