सीबीएसई ने स्कूलों को बच्चों की बौद्धिक क्षमता के विकास के साथ उनकी सेहत पर भी खास ध्यान देने के निर्देश दे रखे हैं। इसके तहत समय-समय पर कैंप लगाकर बच्चों का हेल्थ चेकअप किया जाता है।
हाल ही में किए गए चेकअप में सामने आया है कि बच्चों में गंभीर रूप से विटामिन डी की कमी पाई जा रही है और इसका कारण सन एक्सपोजर की कमी है। बच्चे सुबह से शाम तक स्कूलों में रहते हैं। घर पर रहने के दौरान भी वे इनडोर गेम्स या टीवी, मोबाइल पर वक्त बिता देते हैं। इस कारण उन्हें धूप से प्राकृतिक विटामिन डी नहीं मिल पा रहा।
भविष्य के लिए खतरे की घंटी
डायबेटोलिजिस्ट और न्यूट्रीशियन स्पेशलिस्ट डॉ.अनुपमा दुबे बताती हैं पिछले दिनों हमने पैरेंट्स को जागरूक करने के लिए एक वर्कशॉप करवाई थी, जिसके बाद पैरेंट्स ने बच्चों का विटामिन डी टेस्ट करवाया। उसके अनुसार करीब 75% बच्चों में विटामिन डी की कमी पाई गई है।
खराब लाइफस्टाइल, वर्कआउट की कमी और बेड इटिंग हैबिट्स के कारण बच्चों में ओबेसिटी भी बढ़ रही है। लड़कियों में इस कारण पॉलिस्टिक ओवेरियन डिसऑर्डर भी बढ़ रहा है, जिससे आगे चलकर डायबिटीज और इनफर्टिलिटी का खतरा बढ़ जाता है।
हाईट कम और वेट ज्यादा
चाचा नेहरू अस्पताल में आहार एवं पोषण विशेषज्ञ डॉ. संगीता मालू बताती हैं अस्पताल की ओपीडी में हर महीने लगभग 6 हजार बच्चे आते हैं, जिनमें से तकरीबन ढाई हजार बच्चों में विटामिन डी की कमी पाई जाती है। शहरी आबादी में सन एक्सपोजर कम होने के कारण यह संख्या दो से तीन गुना तक ज्यादा है।
शहर के स्कूली बच्चों में से 40% में कैल्शियम की कमी और 50% में आयरन की कमी पाई जाती है। छोटे बच्चों में आयरन 8 से 10 ग्राम पाया जाता है, जबकि यह 12 ग्राम होना चाहिए। जंक फूड के चलन के कारण बी-कॉम्प्लेक्स की कमी भी देखी जा रही है। पर्याप्त पोषक तत्वों की कमी के कारण बच्चों की उम्र के मुताबिक लंबाई नहीं बढ़ रही जबकि वजन दोगुनी तेजी से बढ़ रहा है।
100 से ज्यादा गंभीर बीमारियों का खतरा
विटामिन डी की कमी पर पिछले पांच सालों में विश्वभर में पांच हजार से ज्यादा रिसर्च हो चुकी है, जिनके अनुसार इसकी कमी से हड्डियों का कमजोर होना, आंखों और दिमाग संबंधी समस्याएं, डायबिटीज, कैंसर, डिप्रेशन, ब्रेन डेमेज जैसी 100 से अधिक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। विटामिन डी दो हजार से ज्यादा जींस को एक्टिवेटकरता है और हमारी इम्यूनिटी बढ़ाता है।
इतनी जरूरत
विटामिन डी का लेवल ब्लड टेस्ट से जांचा जाता है। वयस्क व्यक्ति को हर दिन 40 नैनोग्राम विटामिन डी लेने की जरूरत होती है, जबकि रिचर्स के अनुसार 75% से अधिक लोगों में यह 20 नैनोग्राम से भी कम पाया गया।
तीन तरह से प्राप्त किया जा सकता है विटामिन डी
1) सन एक्सपोजर कम से कम तीन घंटे
2) विटामिन डी सप्लीमेंट्स
3) विटामिन डी फोर्टिफाइड फूड
ये हैं प्रारंभिक लक्षण
– बच्चों का जल्दी थक जाना
– सिरदर्द या हाथ-पैरों में दर्द की शिकायत
– इम्यूनिटी कम होना यानी जल्दी बीमार होना
– एकाग्रता कम होना
– संपूर्ण शारीरिक विकास में कमी