राजधानी रायपुर में पिछले कुछ सालों में सूदखोरी के मामले सामने आने लगे है। खासकर औद्योगिक इलाकों में दिनभर हाड़तोड़ मेहनत करने वाले मजदूरों को मजबूरी में घर परिवार का पेट पालने के लिए उधार में ब्याज पर पैसा लेना पड़ता है। पांच, दस और पंद्रह फीसदी ब्याज पर पैसा देने वाले अपनी शर्तो पर ही मजदूरों को पैसा देने को तैयार होते है। प्रदेश के सरगुजा के कोयलांचल में तो सूदखोरों के चंगुल में फंसकर कोयला खदानों में काम करने वाले कई मजदूरों को जान तक गंवानी पड़ी है। सूदखोरी का यह काला कारोबार आदिवासी जिलों से फैलता हुआ राजधानी तक पहुंच गया है। हाल के दिनों में कई ऐसे मामले सामने है लेकिन पुलिस ने केवल दो प्रकरणों में ही अपराध कायम किया है, वह भी वरिष्ठ अफसरों के हस्तक्षेप के बाद। आईजी जीपी सिंह ने नईदुनिया को बताया कि मूलधन से ज्यादा जबरिया वसूली पर सख्ती से रोक लगाने पुलिस की स्पेशल टीम बनाई जा रही है। रेंज के सभी जिलों में यह स्पेशल टीम सूदखोरों पर निगाह रखकर काम करेंगी। किसी भी शिकायत पर पीड़ित को जल्द से जल्द राहत पहुंचाने की कोशिश की जाएगी। उन्होंने कहा कि रेंज में फिलहाल कितने लाइसेंसी साहूकार है जो ब्याज पर लोगों को पैसा उपलब्ध कराते है, इसकी पूरी जानकारी जुटाई जा रही है। बुधवार को आईजी ने रेंज के सभी एसपी की बैठक लेकर सूदखोरी के मामलों पर तत्काल एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई के निर्देश दिए है। उन्होंने कहा कि ब्याज में दिए गए रकम को दोगुना से अधिक नहीं वसूला जा सकता है। कानून में इसके प्रावधान है और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश भी।
कानून में दंड का प्रावधान
प्रदेश में छत्तीसगढ़ रेग्यूलेशन ऑफ मनी लॉन्ड्रि्रंग एक्ट 2015 कानून भी बन चुका है। प्रशासनिक अफसरों के मुताबिक जिला प्रशासन साहूकारी लाइसेंस देता है। लाइसेंस धारक नियमानुसार जरूरतमंदो को उधार में पैसे देकर साधारण ब्याज वसूलता है। मनमाना ब्याज दर वसूलने और शर्तो का उल्लंघन करने पर धारा 422 के अंर्तगत दंडनीय अपराध है। इसमें दो साल कारावास या जुर्माने का प्रावधान है।
केस वन
खमतराई निवासी छत्तीसगढ़ी फिल्म निर्माता सैय्यद सिराज अनवर ने मौदहापारा निवासी शहजादे अहमद से दस फीसदी ब्याज पर 10 लाख रुपए लिया था। चार सालों में 10 लाख के बदले 27 लाख 30 हजार रुपए शहजादे ने धमकाकर वसूल लिया। पीड़ित की शिकायत पर मौदहापारा पुलिस ने सोमवार को अपराध कायम किया है।
केस टू
उरला, बीरगांव निवासी दो महिलाओं से पडोस की एक महिला ने 10 हजार रुपए 10 फीसदी ब्याज पर लिया था। उन दोनों महिलाओं ने 10 हजार के बदले 40 हजार रूपए वसूल लिए बावजूदमूलधन बकाया बताकर पीड़ित महिला को परेशान करने लगी। शिकायत पर उरला पुलिस ने अपराध कायम किया।