सरकार ने स्वच्छ भारत के विज्ञापन पर खर्चे 94 करोड़

नई दिल्ली। "स्वच्छ भारत अभियान" से देश की साफ-सफाई पर जो भी असर पड़ा हो, लेकिन इसके प्रचार-प्रसार में सरकार कोई कमी नहीं रहने देना चाहती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रिय अभियान के विज्ञापन पर केंद्र महज एक साल में 94 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है।

सूचना अधिकार कानून के तहत पूछे गए सवालों के जवाब में पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। स्वच्छता अभियान के लिए नोडल एजेंसी की भूमिका निभा रहे इस मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने 2.15 करोड़ रुपये विज्ञापन और प्रचार पर खर्च किए हैं।

70.80 लाख का विज्ञापन अखबारों को दिया गया है। दृश्य-श्रव्य विज्ञापनों पर 43.64 करोड़ की राशि खर्च की गई। 25.88 करोड़ का विज्ञापन डीएवीपी के जरिये टीवी चैनलों को दिया गया। 16.99 करोड़ रुपये से इस अभियान का दूरदर्शन पर प्रचार किया गया और 5.42 करोड़ का विज्ञापन रेडियो को दिया गया।

उल्लेखनीय है कि संप्रग सरकार के "निर्मल भारत अभियान" को राजग सरकार "स्वच्छ भारत अभियान" के नाम से चला रही है। मंत्रालय के अनुसार, इस अभियान के लिए राज्यों को वित्तीय और तकनीकी मदद दी जा रही है। लखनऊ निवासी आरटीआई कार्यकर्ता संजय शर्मा द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में मंत्रालय ने कहा कि इस अभियान के तहत जिला प्रशासन पंचायतों को पैसे भेजता है।

मंत्रालय के अनुसार, स्वच्छता राज्यों का विषय होने के कारण इस अभियान को चलाने की जवाबदेही भी राज्य सरकारों की ही है। बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो अक्टूबर, 2014 को इस अभियान को श्रीगणेश किया था। पांच सालों में इस पर दो लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

 

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