राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। शारीरिक व मानसिक रूप से अक्षम लोगों के लिए योजनाएं व सुविधाएं प्रदान कर उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की कवायद चलताऊ तरीके से हो रही है। दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग के पास आज भी कोई आंकड़ा नहीं है कि शारीरिक रूप से कितने अक्षम लोग यहां रह रहे हैं। इसी का नतीजा है सरकार आज तक इनके लिए कोई कारगर कदम नहीं उठा सकी। दिल्ली विधानसभा में मंगलवार को पेश की गई भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग ने दिल्ली में रहने वाले शारीरिक व मानसिक रूप से अक्षम लोगों का विस्तृत ब्योरा रखने के लिए घर-घर जाकर कोई स्वतंत्र सर्वे किया ही नहीं है। चाहे ऐसे लोगों को पेंशन देने की बात हो या फिर अन्य योजनाओं का लाभ देने की कोशिश, ऐसे संबंधित लोगों का आंकड़ा जनगणना के दौरान आए आंकड़ों पर आधारित रहा। राज्य सरकार ने शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के मामलों का समाधान करने के लिए राज्य अशक्तता नीति को विकसित नहीं किया। विभाग की ओर से ऐसे लोगों को जो वित्तीय लाभ दिया जाता है इसकी पात्रता क्या है, कोई नीति नहीं है। मानसिक रूप से विकलांग लोगों रहने के लिए समाज कल्याण विभाग का रोहिणी स्थित एकमात्र कॉम्प्लेक्स आशा किरण में 350 लोगों के रहने की क्षमता है, जबकि वहां 970 लोग रह रहे हैं। इनकी देखभाल के लिए कुल 502 कर्मचारी होने चाहिए तो वर्तमान में वहां कर्मचारियों की संख्या 215 के पास है। वर्ष 2009-10 के दौरान कॉम्प्लेक्स में 57 लोगों की मौत के बाद फरवरी, 2010 में एक समिति ने यहां से भीड़ हटाने की अनुशंसा की। मुख्यमंत्री की बैठक में यह फैसला लिया गया कि आशा किरण में रह रहे निवासियों को तुरंत लामपुर स्थित भिक्षु गृह भेजा जाए, लेकिन अभी तक उस पर कोई विचार नहीं किया गया। नियमित रूप से नहीं हो रही है बैठक अक्षम लोगों के कल्याण के लिए राज्य समन्वय समिति तथा राज्य कार्यकारी समिति तक नियमित रूप से बैठकों का आयोजन नहीं कर रहे हैं। राज्य समन्वय समिति ने नवंबर, 2004 में अपनी स्थापना के बाद से निर्धारित 20 बैठकों में से केवल चार बैठकों का आयोजन किया और राज्य कार्यकारी समिति ने अधिनियम के अंतर्गत निर्धारित 40 बैठकों में से केवल एक बैठक का आयोजन किया। शैक्षणिक कर्मचारियों की है कमी समाज कल्याण विभाग दिल्ली में 52,330 अक्षम बच्चों के लिए 1,250 की क्षमता वाले केवल छह स्कूलों को चलाता है। इतना ही नहीं, इन स्कूलों में भी 50 फीसद से अधिक शैक्षणिक कर्मचारियों की कमी है। यह हाल तब है जब समाज कल्याण विभाग के पास शारीरिक व मानसिक रूप से अक्षम लोगों को समाज के मुख्यधारा से जोड़ने के लिए भारी भरकम अधिकारियों की फौज है। मालूम हो कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार दिल्ली की कुल जनसंख्या 167.53 लाख थी, जिसमें से 2.35 लाख व्यक्ति (1.40 फीसद) को शारीरिक व मानसिक रूप से अक्षम बताया गया है। इसके बाद राज्य आयुक्तों की 11वीं व 12वीं राष्ट्रीय बैठक (जुलाई, 2012 और अगस्त,2013) में विशिष्ट लाभार्थी योजनाओं का लाभ प्रदान करने के लिए सभी राज्यों में प्रत्येक पांच वर्ष में घर-घर जाकर सर्वेक्षण करने की सिफारिश की गई थी।
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