मॉडल आंगनबाड़ी बनाने की योजना को झटका दे सकती है वेतन की समस्या

आधुनिक और मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र बनाने के लिए भले ही महिला एवं बाल विकास मंत्रालय निरंतर प्रयास में जुटा हुआ है। लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की समस्याएं इस योजना को झटका दे सकती है।

दरअसल आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के कम पारिश्रमिक और राज्य सरकारों के जरिए आंगनबाड़ी प्रशिक्षुओं को भुगतान की बकाया राशि जैसी समस्याएं केंद्र तक पहुंचने लगी है।

जिससे योजनाओं के विस्तार में समस्या आने की आशंका जताई जा रही है। मेनका गांधी ने इस मामले पर भारतीय बाल कल्याण परिषद् के सदस्यों से विस्तृत विवरण के साथ प्रतिवेदन देने को कहा है। ताकि यह मामला वित्त्त मंत्रालय समेत तमाम राज्य सरकारों के साथ उठाया जा सके।

कहा है कि राज्य सरकारें आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी प्रशिक्षकों को उनकी सेवाएं के लिए समय पर भुगतान देने में गैर जिम्मेदाराना और लापरवाही भरा रुख अख्तियार कर रही हैं। यह एक गंभीर मामला है।

इसलिए मंत्रालय सभी राज्यों से संपर्क करेगा। जो राज्य आंगनबाड़ी कर्मियों का भुगतान नहीं कर रहे हैं उन राज्यों को चिट्ठी लिखकर समय पर भुगतान करने के लिए कहा जाएगा।

उल्लेखनीय है कि पिछले माह सोनीपत में ऐसे ही एक आंगनबाड़ी केंद्र को शुरू करने के साथ देश में चार हजार आधुनिक आंगनबाड़ी केंद्र खोलने का ऐलान मंत्री मेनका गांधी ने किया था।

उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं में स्वच्छता, सफाई और बच्चों के खानपान की गुणवत्ता को लेकर ज्ञान का अभाव है। इससे उनके प्रशिक्षण में कमी का भी पता चलता है।

तो दूसरी ओर देश में कुपोषण के बढ़ते स्तर पर चिंतित मेनका गांधी ने कहा कि कई संस्थाओं के कामकाज के स्तर में गिरावट की वजह से ऐसा हुआ है।

इसलिए कामकाज में सुधार के लिए नई नीति को तैयार किया जाएगा। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़, झारखंड और मध्यप्रदेश के अलावा कुछ दक्षिणी राज्यों में भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को समय से वेतन नहीं मिल रहा है। जिससे आंगनबाड़ी केंद्रों का कामकाज प्रभावित हुआ है।

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