पांच वर्ष से कम उम्र के कम से कम 1,000 बच्चे आज भी डायरिया के चलते सिर्फ इसलिए मौत का शिकार हो जाते हैं क्योंकि उन्हें पर्याप्त मात्रा में शुद्ध पानी मिल पाता है और न ही उन्हें स्वच्छ व स्वस्थ वातावरण मिलता है।
दुनिया के विकासशील देशों में अधिकांश ग्रामीण इलाकों की यह तस्वीर मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र की दो बड़ी एजेंसियों ने पेश की है। यह रिपोर्ट साफ पानी और खुले में शौच के चलते बच्चों के जीवित रहने की दर और अन्य स्वास्थ्य मापकों की डरावनी स्थिति की तरफ इशारा करती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनीसेफ द्वारा घोषित इस संयुक्त रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2000 की तुलना में मौत का यह आंकड़ा यद्यपि आधा रह गया है, लेकिन दुनिया के हर तीन में से एक इंसान को अथवा 2.4 अरब लोगों को स्वच्छता सुविधा नसीब नहीं हो रही है।
संयुक्त राष्ट्र वर्ष 2030 तक इस दिशा में नया बैंचमार्क बनाना चाहता है। इस संबंध में सितंबर में आयोजित होने वाली यूनाइटेड नेशंस जनरल एसेंबली की वार्षिक सम्मेलन से पहले दुनिया के नेताओं से नए लक्ष्य निर्धारण की प्रक्रिया को लेकर चर्चा की जाएगी।
भारत में खुले में शौच करने की प्रवृति की दर में मामूली कमी आई है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में भारत की 94 फीसदी आबादी की पहुंच पेयजल संसाधनों तक है जो 1990 में मात्र 71 फीसदी तक ही सीमित थी।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘दुनिया के 16 देश ऐसे हैं जहां खुले में शौच की प्रवृति दर में कम से कम 25 फीसदी तक की कमी आई है। भारत भी इनमें शामिल है जहां यह कमी 31 फीसदी तक की है। संरा रिपोर्ट में इस कमी को ‘मामूली ‘बताया गया है।