महिला का शरीर उसका मंदिर, उसे अपवित्र करने वालों से कोई समझौता नहीं: सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि दुष्कर्म के मामले में कोई समझौता नहीं किया जा सकता. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि रेप के मामलों में दोषी और पीडि़ता के खिलाफ मध्यस्थता अथवा सुलह का प्रयास पीडि़ता के सम्मान के खिलाफ और त्रुटिपूर्ण निर्णय है. महिला का शरीर उसका मंदिर होता है और उसे अपवित्र करने वालों के लिए कोई मध्यस्थता या समझौता नहीं होना चाहिए.

कोर्ट ने पीड़ित और आरोपी के बीच शादी के लिए समझौते को बड़ी गलती बताया है साथ हीं इसे पूरी तरह से अवैध बताया है. कोर्ट ने दुष्‍कर्म के मामलों में अदालतों के नरम रुख को भी गलत ठहराया साथ ही इसे महिलाओं की गरिमा के खिलाफ भी बताया है.

सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दुष्‍कर्म के मध्य प्रदेश सरकार की ओर से एक मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया.

पिछले दिनों मद्रास हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्‍कर्म के मामले में फैसला सुनाया जो काफी अनुठा था. कोर्ट ने आरोपी को जमानत इसलिए दी ताकि वह पीड़िता के साथ समझौते की प्रक्रिया में शामिल हो सके. पीडिता अनाथ है. दुष्‍कर्म के बाद वह एक बच्चे को भी जन्म दे चुकी है. निचली अदालत ने 2002 में इस मामले की सुनवाई करते हुए आरोपी को सात साल की सजा सुनाई साथ ही दो लाख रुपए जुर्माना भी उसपर लगाया था.

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