राजन केंद्रीय बैंकों के बीच मौद्रिक नीति उदार बनाने की होड़ के प्रति आगाह करते रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हालांकि भारत के हालात अलग हैं, जहां रिजर्व बैंक को फिलहाल निवेश प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत दरों में कटौती करनी है।
आरबीआई प्रमुख ने इस बात पर चिंता जताई की पूरी दुनिया 1930 के दशक जैसी परिस्थितियों को ओर बढ़ रहा है, लिहाजा आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय सहमति बनाने की जरूरत है।
लंदन बिजनेस स्कूल में एक सम्मेलन में उन्होंने कहा ‘हमें बेहतर समाधान ढूंढने के लिए नए नियमों की जरूरत है। ‘मुझे लगता है कि केंद्रीय बैंकों की पहल के लिहाज से क्या-कुछ स्वीकार किया जा सकता है, इस संबंध में वैश्विक नियमों पर बहस शुरू करने का समय आ गया है।’