दो साल पहले मई 2013 में पूरे प्रदेश से आठ स्कूलों ने सीबीएसइ की मान्यता लेने के लिए अप्लाइ किया. इसमें 20 हजार रुपये भी खर्च किये गये. आवेदन को सीबीएसइ ने एप्रूव भी कर दिया, लेकिन अब तक मान्यता देने की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई. न कमेटी बनी है और न ही स्कूल की जांच की गयी है.
अब, जब स्कूल में 9वीं की पढ़ाई 2015 अप्रैल सेशन से शुरू हो चुका है, ऐसे में अगर इन स्कूलों को सीबीएसइ जल्द मान्यता नहीं मिलती है, तो इन स्कूलों के लगभग चार हजार स्टूडेंट्स का भविष्य अधर में लटक जायेगा. सीबीएसइ दिल्ली के सूत्रों की मानें तो पूरे देश में 50 और बिहार में आठ ऐसे स्कूल हैं, जिन्होंने दो साल पहले एफिलिएशन के लिए आवेदन किया, लेकिन अब तक इसकी कोई प्रक्रिया बोर्ड की ओर से शुरू नहीं की गयी है. ऐसे में इन स्कूलों में 9वीं कक्षा के स्टूडेंट्स का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पायेगा.
तीन स्कूल पटना व पांच अन्य जिलों के
मान्यता लेने की सूची में पटना के तीन बड़े स्कूलों का नाम है. ये वो स्कूल हैं, जो यहां कई साल पहले खुले हैं और सातवीं तक के लिए थे. लेकिन, इन स्कूलों में अब इस साल से 9वीं की पढ़ाई शुरू हो गयी है. पटना के अलावा भागलपुर, नवादा, बिहारशरीफ, दरभंगा, मुजफ्फरपुर जिलों से एक-एक स्कूल इसमें शामिल हैं. इन स्कूलों में अब लगभग चार हजार स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं. क्लास 9वीं की बात करें, तो लगभग एक हजार स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं.
31 मार्च, 2015 तक मिलनी थी मान्यता
सीबीएसइ सूत्रों की मानें तो इन तमाम स्कूलों को 31 मार्च, 2015 तक सीबीएसइ को मान्यता दे देनी चाहिए थी. 2015 के सेशन से इन स्कूलों में 9वीं की पढ़ाई शुरू की गयी. इन स्कूलों में 9वीं में रजिस्ट्रेशन करवाने वाले स्टूडेंट्स 2016 में 10वीं बोर्ड की परीक्षा दे पायेंगे. सूत्रों की मानें तो 31 मार्च, 2015 में मान्यता मिलने के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होती. ऐसे में नौवीं के स्टूडेंट्स मात्र तीन महीने तक ही पढ़ाई कर पायेंगे. सीबीएसइ की मानें तो अगस्त में होनेवाले 9वीं के रजिस्ट्रेशन में इन स्कूलों के स्टूडेंट्स शामिल नहीं हो पायेंगे. इससे इन स्टूडेंट्स का साल बरबाद हो जायेगा. सीबीएसइ सूत्रों की मानें तो 31 मार्च, 2015 से मान्यता नहीं मिली, तो एक साल तक इन स्कूलों को मान्यता नहीं मिलेगी.
मान्यता से पहले होती है पूरी जांच
सीबीएसइ के पास हर साल नये स्कूल मान्यता के लिए आवेदन देते हैं. आवेदन के लिए मई से लेकर 30 जून तक समय भी बोर्ड की ओर से दिया जाता है. आवेदन मिलने के साल भर के अंदर बोर्ड की ओर चार-पांच लोगों की कमेटी बनायी जाती है. यह कमेटी उन स्कूलों में जाकर जांच करती है. इसमें कमेटी देखती है कि स्कूल सीबीएसइ के एफिलिएशन बाइलॉज का पालन कर रहा है या नहीं? क्लास रूम की संख्या के साथ स्टूडेंट्स की संख्या, टीचर्स की संख्या, स्कूल का इन्फ्रास्ट्रर आदिपर जांच कमेटी फोकस करती है. स्कूल की जांच के बाद रिपोर्ट तैयार की जाती है. रिपोर्ट पॉजिटिव हो या निगेटिव, इसकी रिपोर्ट सीबीएसइ कारण के साथ भेज देती है. अगर स्कूल को मान्यता मिलती है तो किस आधार पर मान्यता दी गयी, यह भी बताया जाता है. अगर मान्यता नहीं मिलती है, तो यह भी सीबीएसइ स्कूल को रिपोर्ट भेज कर बताती है.
अगस्त में होता है 9वीं का रजिस्ट्रेशन
सीबीएसइ स्कूलों में रजिस्ट्रेशन का काम अगस्त में शुरू होता है. हर स्कूल इसके पहले 9वीं और 11वीं के स्टूडेंट्स की एलओसी (लिस्ट ऑफ कैंडिडेट्स) बना कर बोर्ड को भेजता है. इसी लिस्ट के अनुसार बोर्ड परीक्षा के समय परीक्षा फॉर्म स्टूडेंट्स से भरवाया जाता है. रजिस्ट्रेशन का काम अगस्त के अंतिम सप्ताह में शुरू किया जाता है. सीबीएसइ उन्हीं स्कूलों के 9वीं क्लास के स्टूडेंट्स का रजिस्ट्रेशन करता है, जिसे मान्यता मिली होती है.