साक्षर भारत अभियान देश के उन 410 जिलों में संचालित हो रहा है, जहां महिलाओं की साक्षरता का प्रतिशत 50 फीसदी से कम है। इस अभियान में 16 वर्ष से ऊपर की आयु के लोग शिक्षा हासिल करते हैं। पहले यह कार्यक्रम अक्षर ज्ञान सिखाने तक सीमित था और इन केंद्रों में लोगों को सिर्फ पढ़ना-लिखना सिखाया जाता था लेकिन बदलते वक्त के बाद इन केंद्रों में पढ़ाई-लिखाई का ढर्रा बदल गया है।
मानव संसाधन विभाग में संयुक्त सचिव शेषु कुमार के अनुसार अक्षर ज्ञान के अलावा जो अन्य साक्षरता इन केंद्रों में दी जा रही है, उसमें सबसे अहम है विधिक साक्षरता। इसमें लोगों को कानूनी अधिकारों के बारे में बताया जाता है। साथ ही कई जरूरी कानूनों के बारे में जानकारी दी जाती है। जैसे शिक्षा का अधिकार, भ्रूण हत्या रोकने संबंधी पीएनडीटी, दहेज कानून, घरेलू हिंसा के खिलाफ बने कानून आदि। न्याय विभाग की मदद से इसके लिए साक्षर भारत से जुड़े शिक्षकों को इसकी ट्रेनिंग दी गई है।
इसी प्रकार चुनाव आयोग की मदद से मताधिकार और चुनाव संबंधी जानकारियां दी जा रही हैं ताकि लोग अपने मताधिकार के प्रति जागरुक रहेंतथा सही प्रतिनिधि का चुनाव करें। इसके बाद डिजिटल साक्षरता को भी इसमें शामिल किया गया है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की मदद से एक हजार मॉडल केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं जिनमें 50 घंटे का कंप्यूटर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
कुमार के अनुसार अब वित्तीय साक्षरता को भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है। इस बारे में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की मदद से सिलेबस तैयार किया गया है। जिसमें बैकिंग, बीमा और आम लोगों से जुड़ी सरकारी बीमा एवं पेंशन योजनाओं का ब्यौरा है। ताकि लोग जान सकें कि कैसे 12 रुपये में वे दो लाख का बीमा करा सकते है और अटल पेंशन योजना से कैसे वे लाभान्वित हो सकते हैं।