नई दिल्ली। खाद्य तेलों के रिकॉर्ड आयात और सोयाबीन की खेती बढ़ने के कारण देश में पाम ऑयल की कीमतें आने वाले दिनों में कम हो सकती हैं। मलेशिया और इंडोनेशिया की निर्यात अनुकूल नीतियों के कारण देश में खाद्य तेलों का आयात लगातार बढ़ रहा है। वहीं इंडोनेशिया में बायोडीजल बनाने के लिए पाम की मांग कमजोर है, जिसका असर कीमतों पर पड़ सकता है। वहीं इस साल भारत और अमेरिका में सोयाबीन की पैदावार में बढ़ोत्तरी की उम्मीद है। विशेषज्ञों के मुताबिक घरेलू बाजार में पाम ऑयल की कीमतें 10 फीसदी तक फिसल सकती हैं।
कीमतों में आएगी गिरावट
पैराडाइम कमोडिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीरेन वकील के मुताबिक आने वाले दिनों में पाम ऑयल की कीमतें और फिसल सकती हैं। उनके मुताबिक मलेशिया और इंडोनेशिया में पाम का उत्पादन ज्यादा है। साथ ही इंडोनेशिया में बायो-डीजल पर सब्सिडी को लेकर को कोई ढांचा नहीं होने के कारण पाम ऑयल की मांग घटी है। घरेलू वायदा बाजार में पाम ऑयल की कीमतें 400 रुपए प्रति 10 किलो के नीचे फिसल सकती हैं। फिलहाल एमसीएक्स पर पाम ऑयल 450 रुपए प्रति 10 किलो पर कारोबार कर रहा है।
पाम ऑयल 20 फीसदी हुआ सस्ता
अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में आई गिरावट के कारण घरेलू बाजार में भी कीमतें फिसल गई हैं। नवंबर से अब तक क्रूड पाम ऑयल (सीपीओ) की कीमतें 20 फीसदी फिसलकर 647 डॉलर प्रति टन (41,408 रुपए) पर आ गई हैं। नवंबर में सीपीओ की कीमत 735 डॉलर प्रति टन (47,040 रुपए) थीं। वहीं आरबीडी पामोलिन की कीमतों में इससे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई।
पाम ऑयल का आयात 18 फीसदी बढ़ा
देश में वनस्पति तेल का आयात रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। वहीं पाम ऑयल का आयात नवंबर-मई 2015 के दौरान 18 फीसदी बढ़कर 51.16 लाख टन पहुंच गया है, जबकि पिछले तेल वर्ष में 43.32 लाख टन पाम ऑयल का आयात हुआ था। मई में वनस्पति तेल का आयात 33 फीसदी बढ़कर 13.71 लाख टन हुआ है। भारत के इतिहास में आज तक कभी एक महीने में इतनी बड़ी मात्रा में वनस्पति तेल आयात नहीं हुआ था। कुल वनस्पति तेल आयात में पाम ऑयल की हिस्सेदारी 66 फीसदी है।
घरेलू खपत बढ़ने और ग्लोबल बाजार में खाद्य तेलों की कीमतें कम होने से आयात लगातार बढ़ रहा है। भारत अपनी खपत को पूरा करने के लिए सालाना करीब 60 फीसदी खाद्य तेल आयात करता है। देश में करीब 190 लाख टन तेल की खपत होती है।
निर्यात शुल्क नहीं होने से बढ़ा आयात
तेल उद्योग के संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने कहा कि इंडोनेशिया और मलेशिया ने अक्टूबर 2014 से पाम ऑयल पर निर्यात शुल्क शून्य कर रखा है। साथ ही बायो डीजल के लिए कच्चे पाम तेल की मांग घटी है। इस कारण दोनों देश भारत को खासा निर्यात कर रहे हैं। पिछले साल दिसंबर में सरकार ने आयात को कम करने के लिए क्रूड और रिफाइंड खाद्य तेलों पर 5 फीसदीशुल्क बढ़ा दिया था। इसके बावजूद आयात कम नहीं हो रहा है। फिलहाल क्रूड वनस्पति तेल के आयात पर 7.5 फीसदी और रिफाइंड ऑयल पर 15 फीसदी शुल्क लागू है।
सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड के अध्यक्ष लक्ष्मीचंद अग्रवाल ने कहा कि देश में तेल की खपत बढ़ रही है वहीं उत्पादन में कमी आई है। इस कारण खाद्य तेलों का आयात लगातार बढ़ रहा है। अग्रवाल के मुताबिक हर साल करीब 10 लाख टन खाद्य तेलों का आयात बढ़ा है। जब तक देश में उत्पादन नहीं बढ़ेगा, तेल के लिए आयात पर ही निर्भर रहना पड़ेगा। थोक बाजार में रिफाइंड पामोलीन 500 रुपए प्रति 10 किलो के आस-पास बिक रहा है।