सरकार ने ‘2022 तक सभी के लिए घर’ योजना को मंजूरी देते हुए शहरी गरीबों और झुग्गियों में रहने वालों के लिए कम ब्याज दर पर सस्ते घर का रास्ता साफ कर दिया है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट के आर्थिक मामलों की बैठक में शहरी गरीबों के लिए इंटरेस्ट सब्सिडी की योजना पर मुहर लगा दी गई है।
इस योजना के तहत शहरी गरीबों को महज चार फीसदी ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध हो सकेगा और इससे उन्हें ईएमआई में करीब 2582 रुपये का लाभ होगा। अभी तक 15 साल के लिए 6 लाख रुपये के कर्ज पर 10.5 फीसदी ब्याज दर के हिसाब से मासिक किस्त 6632 रुपये बनती थी।
अब जब कैबिनेट ने 15 साल के कर्ज पर ब्याज सब्सिडी देने की योजना पर मुहर लगा दी है तो 6.5 फीसदी इंटरेस्ट सबवेंशन का बोझ सरकार पर आ जाएगा। इसका मतलब है कि शहरी गरीबों को हर महीने करीब 4,050 रुपये की ईएमआई ही भरनी होगी।
सरकार ने शहरी गरीबों की परिभाषा में भी बदलाव किया है। अब एक के बजाय तीन लाख रुपये सालाना कमाने वाले आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) की श्रेणी में आएंगे। वहीं एलआईजी की सीमा दो लाख से बढ़ाकर 6 लाख रुपये सालाना कर दी गई है। रियायती आवास योजना के तहत इंटरेस्ट सब्सिडी को भी पांच फीसदी से बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया गया है।
कमजोर आय वर्ग के लिए राजीव ऋण योजना के तहत कर्ज की सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपये से छह लाख रुपये तक कर दिया गया है। लाभार्थी अपनी आय के संबंध में स्वप्रमाणित दस्तावेज या हलफनामा भी दे सकेगा। अगले सात साल में आवासीय कमी को पूरा करने के लिए दो करोड़ नए घर बनाने का प्रावधान है लेकिन सरकार का मानना है कि घरों की मांग और बढ़ सकती है। इसका आकलन भविष्य में जन धन योजना से जुड़े आधार नंबर पंजीकरण के आधार पर किया जाएगा।
शहरी आवासीय मिशन को देश के सभी 4041 शहरों में शुरू किया जाएगा। उन 500 शहरों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, जिनकी आबादी एक लाख से ज्यादा है। योजना के मुताबिक, पहले चरण में 2015-2017 के बीच सौ शहरों को शामिल किया जाएगा। दूसरे चरण में अप्रैल 2017-मार्च 2019 के बीच 200 शहर और शेष शहरों को वर्ष 2019-2022 के बीच कवर किया जाएगा।
हालांकि क्रेडिट लिंक सब्सिडी स्कीम को मौजूदा वर्ष से ही सभी शहरों में लागू कर दिया जाएगा। मिशन के अंतर्गत बनने वाले घरों के पंजीकरण में महिलाओं को तवज्जो दी जाएगी या फिर पति-पत्नी का संयुक्त रूप से नाम शामिल किया जाएगा।