यूपी एफएसडीए की टीम ने 13 दिसंबर 2014 को बाह क्षेत्र में अभियान चलाया था। खाद्य सुरक्षा निरीक्षक एएस गंगवार ने गजौरा और शाहपुर ब्राह्मण क्षेत्र के कलेक्शन सेंटर से दूध के दो नमूने लिए थे। मेरठ स्थित प्रयोगशाला में जांच के दौरान दोनों नमूने मानक से कम स्तर के पाए गए। करीब तीन माह पहले एफएसडीए ने डेयरी कंपनी को इसकी जानकारी दी।
इस पर कंपनी ने दूध के नमूनों को निर्दिष्ट खाद्य प्रयोगशाला, कोलकाता भेज दिया। सोमवार को दोनों नमूनों की रिपोर्ट एफएसडीए को मिल गई। दूध का पहला नमूना मानक से कम स्तर का निकला है। बेट्रो रीफेक्ट्रोमीटर पर दूध को 40 डिग्री सेंटीग्रेड पर गर्म किया गया, तो उसमें फैट की मात्रा 43.9 फीसद मिली है, जो 40 से 43 के बीच होनी चाहिए। इसी तरह दूसरे नमूने में भी फैट की मात्रा तो ज्यादा है ही, उसमें डिटर्जेंट भी मिला है।
फेल हो सकता है लिवर
डिटर्जेंट मिले दूध को पीने से कई तरीके की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। एसएन मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. बलवीर सिंह का कहना है कि लिवर फेल भी हो सकता है। इसके अलावा मुंह में छाले, गले व खाने की नली में जलन व छाले, पेट व गले का कैंसर, गर्भस्थ शिशु का विकास रुकने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
कैंसिल होगा लाइसेंस
यादव ने बताया कि उनका विभाग मदर डेयरी के सहारनपुर प्लांट का लाइसेंस कैंसिल करने की कार्रवाई कर रहा है। मदर डेयरी से जुड़ा यह मामला तब सामने आया है जब कुछ ही दिनों पहले नेस्ले के मैगी नूडल्स को कई राज्यों में बैन कर दिया गया था और बाद में कंपनी ने खुद इन नूडल्स को बाजार से हटा लिया था।
यह भी पढ़ें : सऊदी अरब में इस साल की 100वीं फांसी हुई
मदर डेयरी ने लखनऊ लैब में किए गए टेस्ट को चुनौती देते हुए कोलकाता लैब से जांच कराने की मांग की थी। इसके बाद दूध की जांच कोलकाता लैब में कराई गई, तो लैब ने परीक्षण में पाया कि दूध का एक सैंपल बिलो स्टैंडर्ड था और दूसरे में डिटर्जेंट की मिलावट थी।