पेरिस में इस साल के अंत में होने वाले संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन से पहले इस ऐलान को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जी-7 के नेताओं ने ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए गरीब देशों को संसाधन और पैसा मुहैया कराने की बात भी कही है।
इस समूह में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका शामिल हैं। इन देशों में दुनिया की महज 10 फीसद आबादी रहती है, लेकिन एक चौथाई ग्रीन हाउस का ये देश उत्सर्जन करते हैं।
हालांकि दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषण पैदा करने वाला चीन इस समूह का सदस्य नहीं है। भारत, रूस और ब्राजील जैसे ग्रीन हाउस का उत्सर्जन करने वाले देश भी इस समूह का हिस्सा नहीं हैं। ऐसे में वैश्विक स्तर पर इसे अंजाम देने के लिए समूह को अभी लंबा सफर तय करना होगा।
समूह के नेताओं ने इस्लामिक स्टेट के बढ़ते प्रभाव को लेकर भी बैठक में चर्चा की। हालांकि आतंकी संगठन के खिलाफ ठोस रणनीति बनाने में कामयाबी नहीं मिल पाई है। गौरतलब है कि जी-7 का दो दिवसीय सम्मेलन रविवार को शुरू हुआ था।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन, जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल सम्मेलन में मौजूद थे। सम्मेलन के पहले दिन समूह के नेताओं ने यूक्रेन मुद्दे पर एकजुटता दिखाई थी। ओबामा और मर्केल ने यूक्रेन के साथ संघर्ष विराम का पालन नहीं किए जाने तक रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों का प्रतिबंध जारी रखने की घोषणा की थी।
प्रतिबंध में कुछ नया नहीं : रूस
रूस के खिलाफ प्रतिबंध जारी रखने की जी-7 की प्रतिबद्धता को मॉस्को ने खारिज कर दिया है। रूस ने सोमवार को कहा कि उस पर प्रतिबंधों को लेकर दुनिया के बड़े औद्योगिक देशों के समूह जी-7 के नेताओं द्वारा अपनाए गए कड़े रुख में उसे कुछ नया नहीं दिखाई देता। वैसे भी इस मसले को लेकर इन देशों के बीच खुद ही तीखे मतभेद हैं।