केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को भेजी अपनी शिकायत में इन पूर्व निदेशकों ने आरोप लगाया है कि प्राधिकरण में उत्पादों को मंजूरी देने के नाम पर भारी धांधली हो रही है। हाल तक संस्थान में निदेशक रहे असीम चौधरी, प्रदीप चक्रवर्ती और एसएस घनक्रोक्ता ने व्हिसिल ब्लोअर के तौर पर यह शिकायत भेजी है। इसमें उन्होंने कई उदाहरण भी दिया है।
उन्होंने बताया है कि किस तरह उत्पादों को गलत रूप से मंजूरी दी गई है। इसी तरह इनका कहना है कि प्राधिकरण की मुंबई, कोलकाता और गाजियाबाद की बड़ी प्रयोगशालाओं को जान-बूझकर लगातार कमजोर किया गया।
जांच में मदद का भरोसा
कुछ एनर्जी ड्रिंक को दी गई मंजूरी पर ये अधिकारी काफी समय से सवाल उठाते रहे हैं। इसके बाद पिछले दिनों ही प्राधिकरण ने इन पर प्रतिबंध लगाया है। अधिकारियों ने स्वास्थ्य मंत्री को यह भरोसा भी दिया है कि अगर वे इस मामले में कोई जांच गठित करें तो वे लोग पूरी तरह सहयोग करने और सारे सबूत पेश करने को भी तैयार हैं। इन लोगों ने खास तौर पर इसके पूर्व चेयरमैन के कार्यकाल की जांच कराने को कहा है।
दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका
दिल्ली हाई कोर्ट भी इस संबंध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है। प्राधिकरण पर लगे ऐसे ही आरोपों के आधार पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया है। लोक जागृति नाम के गैर सरकारी संगठन की जनहित याचिका पर अगस्त में अगली सुनवाई होनी है।
खाद्य प्राधिकरण की गड़बड़ियों की वजह से ही प्लेट के जरिये आपके पेट तक खतरनाक रसायन पहुंचाने वाली कई और कंपनियां भी धड़ल्ले से अपना धंधा चला रही हैं। अगर प्राधिकरण में इन गड़बड़ियों के खिलाफ मंत्रालय पहले ही सतर्क हो जाता तो शायद मैगी का मामला पहले ही खुल चुका होता। साथ ही तमाम घातक खाद्य पदार्थ बेचने वाली कंपनियों पर भी अंकुश लग पाता।