खो गए सैकड़ों तालाब

मध्य प्रदेश में पानी के नाम पर एक बड़े गड़बड़-घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। यहां तालाब के तालाब खो गए हैं। सरकारी दस्तावेजों में जहां तालाब दिखाए गए हैं, वहां पानी तो दूर कीचड़ तक नजर नहीं आ रहा, यानी सफेद झूठ। प्रशासनिक अमले को जब इसकी खबर लगी, तो वह हक्का-बक्का रह गया। आनन-फानन में जांच शुरू हुई। खेत-खेत घूमते रहे अधिकारी, पर तालाबों का कहीं अता-पता न चला। तीन दिन की जांच में 107 तालाबों का सत्यापन किया गया, तो पता लगा कि इनमें से 100 तालाब गुमशुदा हैं। मध्य प्रदेश में एक जिला है देवास। बीते वर्षों में पानी के लिए यहां कई बड़े काम हुए हैं और देश भर में खूब नाम भी हुआ, लेकिन इस बार देवास बदनाम हुआ है, बलराम तालाबों में सब्सिडी डकारने की वजह से। जन सुनवाई कर रहे जिला कलक्टर को किसी किसान ने शिकायत की कि उसे बलराम तालाब का पैसा नहीं मिला, रिकॉर्ड देखने पर पता लगा कि इसका पैसा तो निकला है। आखिरकार उन्होंने फैसला किया कि मौके पर जाकर पता करेंगे, तो अधिकारियों की शामत आ गई। कलक्टर साहब को टालने और गुमराह करने की कोशिश हुई, मगर कलक्टर साहब अड़ गए। फिर तो वही हुआ, जिसका अंदेशा था। जहां बलराम तालाब होना था, वहां लहसुन के पौधे लहलहा रहे थे।… बलराम तालाब योजना देवास में 2007-08 में लागू हुई थी। इसमें कुछ किसान आगे आए और उन्होंने तालाब बनवाए भी, पर ज्यादातर ने स्थानीय कर्मचारियों से सांठ-गांठ करके रुपये डकार लिए।
इंडिया वाटर पोर्टल से

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