नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जहां एक ओर बिजली कंपनियों की बगैर ऑडिट किसी भी सूरत में बिजली दरों में बढ़ोतरी को रोकने पर अड़े हुए हैं तो दूसरी ओर बिजली कंपनियां बिजली दरों में बढ़ोतरी के लिए सरकार दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) पर मनोवैज्ञानिक दबाव बना रही हैं।
बिजली कंपनियों ने दावा किया है कि दिल्ली के प्रत्येक बिजली उपभोक्ता पर उनके 60 हजार रुपए बकाया हैं। अर्थात दिल्ली की तीनों बिजली कंपनियों का डीईआरसी पर लगभग 28400 करोड़ रुपए का बकाया है। बिजली कंपनियां इसे रेगुलेटरी ऐसेट बता रही हैं। दिल्ली की बिजली कंपनियां प्रेस विज्ञप्ति जारी करके सरकार पर दबाव बना रही हैं कि रेगुलेटरी ऐसेट की भरपाई के लिए बिजली की दरों में वृद्धि की जाए।
50 लाख उपभोक्ताओं पर असर
आंकड़ों के मुताबिक तीनों बिजली कंपनियों को मिलाकर लगभग 50 लाख बिजली उपभोक्ता हैं। कंपनियों की दलील है कि इस बकाए का भुगतान दिल्ली में बिजली दरों में वृद्धि के माध्यम से ही किया जा सकता है। क्योंकि बकाए के भुगतान के लिए डीईआरसी के पास और कोई मैकेनिज्म विकल्प नहीं है। बिजली कंपनियों ने यह भी कहा है कि रेगुलेटरी ऐसेट के तौर पर 27 हजार करोड़ रुपए और पिछली दो तिमाही के दौरान पीपीएसी के तौर पर 1400 करोड़ रुपए बकाया है।
300 फीसदी बढ़ चुकी हैं बिजली की दरें
कंपनियों का यह भी कहना है कि पिछले 10 सालों में बिजली खरीद की दरों में 300 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है, जबकि इसी अवधि में उपभोक्ताओं के बिजली की दरों में केवल 90 फीसदी की वृद्धि हुई है। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि बिजली कंपनियों का ऑडिट पूरा हुए बगैर किसी भी कीमत में बिजली दरों में वृद्धि नहीं की जाएगी।