एक साल में 64 फीसद बढ़े दालों के भाव

नई दिल्ली। महंगाई में नरमी के ट्रेंड के उलट नरेंद्र मोदी सरकार के पहले साल में प्रमुख मेट्रो शहरों में दालें 64 फीसद तक महंगी हुई हैं। खासतौर से घरेलू उत्पादन में कमी के चलते दालों के दाम बढ़े हैं।

लगातार दूसरे वर्ष मानसून खराब रहने की भविष्यवाणी के बीच सरकार एमएमटीसी जैसी सरकारी टे्रडिंग फर्मों के जरिये दालों के आयात पर विचार कर रही है। इसका मकसद इनकी घरेलू आपूर्ति को बढ़ाना और खुदरा कीमतों को बढ़ने से रोकना है। उपभोक्ता मामलों केमंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि बीते एक वर्ष में उड़द सबसे ज्यादा महंगी हुई है। अरहर, मसूर, चना और मूंग की दालें भी उछली हैं।

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार की प्रमुख उपलब्धियों में एक साल के दौरान महंगाई पर अंकुश लगाना भी रहा है। सरकार के ताजा आंकड़ा कहते हैं कि अप्रैल में उपभोक्ता मूल्यों पर आधारित महंगाई की दर घटकर चार माह के निचले स्तर 4.87 फीसद पर पहुंच गई। जबकि थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई की दर लगातार छह माह शून्य से नीचे बनी रही।

जबकि कई खाद्य वस्तुओं में नरमी आई है, लेकिन उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़े दिखाते हैं कि दालें खासी महंगी हुई हैं। अभी महानगरों में उड़द 105-123 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रही है। पिछले साल तक इसके दाम 64 से 80 रुपये प्रति किलो थे। इसी प्रकार तुअर या अरहर की दाल 53 फीसद की बढ़त के साथ 102-116 रुपये प्रति किलो के दायरे में चल रही है। पिछले साल यह 68-86 रुपये प्रति किलो थी। मंत्रालय के आंकड़े दर्शाते हैं कि मसूर दाल की कीमतें 40 फीसद की तेजी के साथ 80 से 94 रुपये किलो के बीच हैं, जो पिछले वर्ष 60 से 75 रुपये प्रति किलो के बीच थीं।

मूंग के दाम भी 26 फीसद बढ़कर अब 107 से 116 रुपये के दायरे में हैं जो पिछले साल की समीक्षाधीन अवधि में 92 से 105 रुपये प्रति किलो के बीच थे।

विशेषज्ञों के अनुसार दलहनों की खेती वर्षासिंचित क्षेत्रों में होती है। सामान्य से कम मानसून के चलते फसल वर्ष 2014-15 के दौरान घरेलू उत्पादन में कमी के चलते दालों में तेजी आई है। फसल वर्ष 2014-15 (जुलाई से जून) में दलहनों का उत्पादन घटकर एक करोड़ 84.3 लाख टन रहने का अनुमान है जो पिछले साल एक करोड़ 97.8 लाख टन था।

देश में साल भर में 1.8 से 1.9 करोड़ टन दलहनों का उत्पादन होता है, लेकिन घरेलू मांग को पूरा करने के लिए 30 से 40 लाख टन दलहनों का आयात करना पड़ता है। पिछले दो वर्ष में मुख्य रूप से दालों का आयात निजी व्यापारियों की ओर से किया गया। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2013-14 में दलहन का आयात 30 लाख टन रहा, जबकि 2014-15 में इसके 34 लाख टन रहने के अनुमान हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *