सीतारामण के मुताबिक विदेशी कंपनियों की तरफ से देश में सुपर बाजार खोलने के किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जाएगा। सीतारामण ने बताया, ‘मंत्रिमंडल के पास जाकर पूछना होगा कि क्या दस्तावेज को खत्म करना चाहिए। मल्टी ब्रांड रिटेल सेक्टर में किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जा रहा।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री का बयान ऐसे समय आया है जब औद्योगिक नीति व संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) ने केंद्र की पिछली सरकार द्वारा विदेशी रिटेल कंपनियों को 51 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ मल्टी-ब्रांड रिटेल स्टोर्स खोलने की अनुमति देने के फैसले को बरकरार रखा है।
बहरहाल, सीतारामण ने कहा, ‘हम यह भी पक्का करेंगे कि ई-कॉमर्स सेक्टर में एफडीआई, मल्टी-ब्रांड रिटेल सेक्टर में पीछे के दरवाजे से घुसने का रास्ता न बन जाए।’ वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हाल ही में कहा था कि भारतीय जनता पार्टी मल्टी-ब्रांड रिटेल सेक्टर में एफडीआई की अनुमति देने के पक्ष में कभी भी नहीं रही है। साल 2012 के दौरान मल्टी-ब्रांड रिटेल सेक्टर में 51 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दिए जाने के बाद से ब्रिटेन स्थित टेस्को का केवल एक निवेश प्रस्ताव मंजूर किया गया है।