रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य में बिना माइनिंग लीज व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एनओसी के संचालित अवैध माइनिंग कार्य को तत्काल बंद कराने का निर्देश दिया है. सोमवार को पांच जिलों में 38 पहाड़ों के गायब होने को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई.
चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार व झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. पूछा कि अब तक राज्य में लघु खनिजों के लिए कितनी माइनिंग लीज दी गयी है. सरकार उनका नाम, पता और कब दिया गया की विस्तृत जानकारी दे. खंडपीठ ने सरकार से जानना चाहा कि दीपक कुमार के जजमेंट के आलोक में क्या कदम उठाये गये हैं. आदेश का अनुपालन किया जा रहा है या नहीं.
बगैर एनओसी के क्रशर भी बंद कराएं
खंडपीठ ने झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पूछा : आपने राज्य में किसको और कितने एनओसी दिये हैं. नाम-पता सहित इसकी पूरी जानकारी शपथ पत्र के माध्यम से प्रस्तुत करें. जिसने पहली बार लाइसेंस लेकर खनन कार्य किया, लेकिन बाद में बिना नवीनीकरण कराये व एनओसी लिये लगातार खनन का कारोबार कर रहे हैं, वैसे खनन कार्य को भी तत्काल बंद कराया जाये. बगैर एनओसी के चलाये जा रहे क्रशर भी बंद कराएं.
सरकार ने कहा, एक साल में 600 मामले दर्ज
इससे पूर्व राज्य सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से अदालत में शपथ पत्र दायर किया गया. सरकार की ओर से राजकीय अधिवक्ता राजेश शंकर ने बताया कि अवैध माइनिंग के खिलाफ पूरे राज्य में अभियान चलाया जा रहा है. सभी जिलों में उपायुक्त की अध्यक्षता में टास्क फोर्स गठित है, जिसमें विभिन्न विभागों के अधिकारी शामिल हैं. जनवरी 2014 से दिसंबर 2014 तक पूरे राज्य में अवैध खनन को लेकर 600 मामले दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है.
काम नहीं कर रही जिलों में गठित टास्क फोर्स
एमीकस क्यूरी अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने सरकार के जवाब का विरोध करते हुए बताया कि जिलों में टास्क फोर्स काम नहीं कर रही है. टास्क फोर्स काम करती, तो अवैध माइनिंग कैसे चलती रहती. उल्लेखनीय है कि 38 पहाड़ों के गायब होने के मामले को हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए कहा था कि झारखंड की पहचान पहाड़ों, झाड़-जंगलों व नदियों से है. पहाड़ ही नहीं रहेंगे, तो उसकी प्राकृतिक सुंदरता कैसे बचेगी.