बिजली का हाल कदम तो उठे, अब रोशनी का इंतजार- सुहेल हामिद

देश में बिजली और मांग के बीच का अंतर 3.6 फीसदी देखने में भले ही कम लगता हो, लेकिन इसे पूरा करने की राह इतनी आसान भी नहीं है। यह अंतर तब है, जब इस साल बिजली उत्पादन 8.4 फीसदी बढ़ा है। देश के कई हिस्सों में 24 घंटे बिजली आपूर्ति आज भी एक सपना है और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एनडीए सरकार ने कमर कस रखी है। बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सरकार का पूरा जोर अक्षय ऊर्जा पर है, लेकिन यह काफी महंगी है, इसलिए सरकार ने कई सोलर पार्क बनाने की भी मंजूरी दी है।

हालांकि बढ़ती मांग के बावजूद सरकार ने एक साल में किसी बड़ी परियोजना को मंजूरी नहीं दी है। उसका पूरा ध्यान आधारभूत संरचना को मजबूत करने पर है। यूपीए सरकार के समय की ट्रांसमिशन लाइन बिछाने की योजना में तेजी लाई गई है। मुश्किल ये है कि महज इसके बूते सभी को दिन-रात बिजली नहीं दी जा सकती। इस मंजिल तक पहुंचने के लिए सरकार को पारेषण एवं वितरण (टीएंडडी) प्रणाली ठीक कर ट्रांसमिशन लॉस भी कम करना जरूरी होगा।

 

कोयला उत्पादन
इस साल कोयला उत्पादन का कोल इंडिया का 50 करोड़ टन का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ। कंपनी चार करोड़ 94 लाख टन कोयला ही निकाल पाई। इसके बावजूद सरकार ने 2019-20 तक कोयला उत्पादन का लक्ष्य सौ करोड़ टन रखा है।

 

 

हाइड्रो पावर
बारिश की कमी से पैदा बिजली संकट से निपटने के लिए सरकार ने पिछले साल कोयला बिजली संयंत्र की पूरी क्षमता का उपयोग किया था। इस वक्त हाइड्रो पावर उत्पादन 40 हजार मेगावॉट है। यह कुल बिजली उत्पादन का 16 फीसदी है। विद्युत मंत्रालय छोटी हाइड्रो विद्युत परियोजनाओं के बूते 20 हजार मेगावॉट बिजली पैदा करना चाहता है। इससे पहाड़ी राज्यों को लाभ मिलेगा।

 

 

समेकित बिजली विकास योजना
करीब 32 हजार करोड़ रुपए की इस योजना के तहत सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में सभी स्तरों पर मीटर लगाने के साथ टीएंडडी को मजबूत किया है। इस योजना में वितरण प्रणाली को मजबूत करने के साथ बिजली सुधार कार्यक्रम शामिल है। सब ट्रांसमिशन को भी अलग किया गया है।

 

 

परमाणु व अक्षय ऊर्जा
तीन वर्षों से परमाणु बिजली का उत्पादन ज्यादा नहीं बढ़ा है। यह 4700 मेगावॉट के आसपास है। एक हजार मेगावाट के कुडनकुलम परमाणु बिजली संयंत्र के शुरू होने से परमाणु बिजली की हिस्सेदारी बढ़ने की उम्मीद जागी है। अक्षय ऊर्जा पर सरकार का ज्यादा जोर है। इस वक्त देश में 25 हजार मेगावॉट सौर ऊर्जा पैदा हो रही है। दस साल में यह लक्ष्य एक लाख मेगावॉट का है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने कई परियोजनाएं शुरू की हैं। इनमें सोलर रूफ टॉप ग्रिड और सोलर सिटी प्रोजेक्ट शामिल हैं।

 

 

दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना
सरकार ने दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना शुरू की है। इससे गांवों में घर-खेती की जरूरतों के हिसाब से विद्युत मुहैया कराई जा सकेगी। योजना के तहत फीडर अलग करना, सबट्रांसमिशन और ग्रिड कोमजबूत करना शामिल है। इससे गांवों में 24 घंटे बिजली उपलब्ध हो सकेगी।

 

 

24×7 बिजली
सभी को दिन-रात बिजली दिलाना सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना है। इस लक्ष्य की समय सीमा मार्च 2019 है। अभी तक सभी राज्यों के लिए योजना तैयार नहीं हुई है। दिल्ली, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में 24 घंटे बिजली दिलाने की योजना तैयार है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, तेलंगाना और पूवरेत्तर राज्यों के लिए योजना प्रक्रिया जारी है।

 

 

बिजली सुधार
सरकार ने बिजली सुधार के लिए विद्युत संशोधन विधेयक संसद में पेश किया। इसके जरिये बिजली क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और आपूर्ति की गुणवत्ता बढ़ाई जाएगी। उपभोक्ता को आपूर्ति कंपनी को बदलने की भी इजाजत होगी। इसके लिए सरकार को आधुनिक प्रौद्योगिकी की दरकार होगी। अभी इसमें कोई ठोस पहल नहीं हुई है।

 

 

दिल्ली में पारेषण व्यवस्था पर काम
पिछले साल मई में आए तूफान से दिल्ली में बिजली की व्यवस्था चरमरा गई थी। इसके बाद ट्रांसमिशन व्यवस्था मजबूत करने के लिए दो अरब रुपये की राशि मंजूर की गई थी। अभी यह काम पूरा नहीं हुआ है। विद्युत मंत्रालय का कहना है कि इस लक्ष्य को जल्द पा लिया जाएगा।

 

 

नेशनल स्मार्ट ग्रिड मिशन
नेशनल स्मार्ट ग्रिड मिशन की शुरुआत भी यूपीए-दो सरकार के कार्यकाल में हुई थी। 12वीं पंचवर्षीय योजना में स्मार्ट ग्रिड के लिए 980 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। ग्रिड पूरी होने से बिजली के मौजूदा ढांचे को किफायती, जवाबदेह और विश्वसनीय बनाने में मदद मिलेगी।

 

 

बिजली बचत
बिजली बचत को गंभीरता से लिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एलईडी बल्ब योजना शुरू की। अभी एलईडी बल्ब साधारण बल्ब या सीएफएल के मुकाबले मंहगे हैं। साधारण बल्ब 10 रुपये में तो एलईडी बल्ब 250 रुपये से ज्यादा का पड़ता है। सरकार की दलील है कि एक साल की बिजली बचत में यह कीमत निकल आएगी। यह तर्क देकर लोगों को एलईडी बल्ब खरीदने के लिए प्रेरित करना इतना आसान भी नहीं है।

 

 

क्या कदम उठाए गए
– शहरी क्षेत्रों में दिन-रात बिजली मुहैया कराने के लिए एकीकृत विद्युत विकास योजना शुरू।
– ग्रामीण घरों और छोटे उद्योगों को हर समय बिजली दिलाने के लिए अलग लाइन बनेंगी।
– पांच साल में छतों पर 40 हजार मेगावॉट की क्षमता वाले सौर संयंत्रों की स्थापना की जाएगी।
– घरों में लगातार बिजली उत्पादन के लिए नई लाइनें और उच्च क्षमता वाले ट्रांसफार्मर लगाने के कदम उठाए गए हैं।
– पीक-लोड की कमी को पूरा करने और ग्रिड की स्थिरता के लिए ‘स्पिनिंग रिजर्व’ बनेंगे।
– ग्रिड की सुरक्षा के लिए सुरक्षा प्रणाली बनाने पर 8,600 करोड़ रुपये की योजना पर अमल।

 

 

– 2,01,637 मेगावॉट था 2012 में देश में कुल बिजली उत्पादन।
– 2,55,681 मेगावॉट तक बिजली उत्पादन पहुंच गया तीन साल बाद 2015 में।

 

 

– 22,566 मेगावॉट बिजली उत्पादन बढ़ा है एनडीए सरकार के सत्ता संभालने के बाद।
– 70,000 करोड़ रुपए की क्षति, बिजली आपूर्ति कंपनियों को हर साल।

 

 

एकवर्ष में मोदी सरकार ने देश में ऊर्जावान स्थिति बना दी है। सरकार ने 22,100 किलोमीटर सर्किट ट्रांसमिशन लाइन बिछाईं हैं। साथ ही, 65,554 एमवीए ट्रांसमिशन क्षमता और जोड़ी गई है। दोनों ही मामलों में तय लक्ष्य से ज्यादा काम हुआ है। 
– पीयूष गोयल, विद्युत, कोयला और अक्षय ऊर्जा मंत्री

 

 

– पांच वर्षों में सभी को दिन-रात बिजली पहुंचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिल कर काम करना होगा। राज्यों की बिजली वितरण व्यवस्था आधुनिक बनानी होगी। अगर पारेषण एवं वितरण का नुकसान 5 फीसदी तक कम हो जाए तो लक्ष्य मिल सकता है।
– नरेन्द्र तनेजा, ऊर्जा विशेषज्ञ

 

 

– 01 लाख 75 हजार मेगावॉट उत्पादन का लक्ष्य रखा है केंद्र सरकार ने 2022 तक अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में। इसके लिए सरकार ने ताबड़तोड़ प्रयास शुरू कर दिए हैं।

 

– 28 करोड़ लोगों के पास आजादी के 67 साल बाद भी बिजली नहीं पहुंच पाई है। देश के कई गांव और क्षेत्र ऐसे हैं, जहां बिजली का खंभा तक नहीं लग पाया है।

– 2019 के मार्च महीने तक केंद्र सरकार ने देश में हर घर में 24 घंटे और सातों दिन बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।

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