बिहार–1254 में से 330 गांवों में ही पहुंचायी बिजली: रामकृपाल

पटना: पटना जिले में चल रही ज्यादातर सरकारी योजनाओं का बुरा हाल है. न तो स्थानीय अधिकारी ठीक से काम कर रहे हैं, न ही मॉनीटरिंग ही ठीक ढंग से हो पा रही है. चिंतनीय हालात हो गये हैं. यह कहा जा सकता है कि पटना राज्य में पिछड़ रहा है. यह कहना है सांसद रामकृपाल यादव का. समाहरणालय में निगरानी एवं अनुश्रवण समिति की बैठक में समीक्षा के बाद सांसद ने पत्रकारों से कहा कि ग्रामीण विकास और ग्रामीण सड़क की अनुशंसित योजनाओं पर काम नहीं हो सका. पीएचइडी के तहत शौचालय निर्माण का काम भी अधर में है, लक्ष्य के विरुद्ध काम नहीं हो सका.

राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत वर्ष 2015 तक कुल 1254 गांवों में बिजली पहुंचानी थी, लेकिन महज 330 गांवों में ही बिजली पहुंचायी जा सकी. लघु सिंचाई को ही लें, एक भी नलकूप काम नहीं कर रहा है. सांसद ने कहा कि पता नहीं राज्य सरकार कैसा काम कर रही है, सकारात्मक नतीजे नहीं निकल पा रहे हैं.

अधिकारियों पर कार्रवाई करे सरकार : सांसद ने कहा कि जहां बहुत बुरा काम हुआ है, वहां के कर्मचारियों पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है. आज हमने डीएम को कहा है कि ऐसे अधिकारियों पर नकेल कसें. यदि वे नहीं सुधरें, तो निकट भविष्य में ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए विभाग को भी लिखेंगे. अब प्रधानमंत्री का फोकस स्वच्छता पर है, लेकिन स्वच्छता की योजनाओं पर स्थानीय अधिकारियों का ध्यान नहीं है. डीएम को इन सभी पर कार्रवाई करनी चाहिए.

मनरेगा में राशि उपलब्ध कराने के लिए केंद्र से करूंगा आग्रह : सांसद से जब पूछा गया कि मनरेगा में राशि नहीं उपलब्ध हो पा रही है. जिले का विकास कार्य रुका हुआ है. इस पर सांसद ने स्वीकारा और कहा कि योजना में पैसे नहीं मिल पाये हैं. केंद्र में मंत्री होने के नाते मैं सरकार से आग्रह करूंगा कि इस मद में राशि जारी की जाये. इंदिरा आवास में कटौती किये जाने से उन्होंने पूरी तरह इनकार करते हुए कहा कि राज्य सरकार भ्रामक सूचना फैला रही है.

आर्सेनिक पीड़ित गांवों का मामला गूंजा
बैठक में दानापुर और मनेर के आर्सेनिक प्रभावित गांवों का भी मामला गूंजा. बैठक में मुद्दा उठाते हुए कहा गया कि मनेर और दानापुर के कई गांवों के ग्रामीण आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर हैं और इससे बीमार पड़ रहे हैं. सांसद ने बताया कि दो एजेंसियों को जांच और निराकरण काम भी सौंपा गया, लेकिन काम ठीक से नहीं हो सका. सरकार ने दोनों एजेंसियों को दोषी भी पाया, मामला कोर्ट में है. इसके बाद भी वहां नये सिरे से काम होना चाहिए. इस संबंध में डीएम को फिर से सरकार को प्रस्ताव देने के लिए कहा गया है.

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