खुदरा महंगाई की दर ने भी उसकी चिंताओं को कुछ कम किया है। अप्रैल में यह 4.87 फीसद पर आ गई, जबकि मार्च में यह 5.17 फीसद थी। मार्च में देश के औद्योगिक उत्पादन ने 2.1 फीसद की रफ्तार से वृद्धि की है। बीता पूरा वित्त वर्ष औद्योगिक उत्पादन के लिहाज से उतार-चढ़ाव वाला रहा। महंगे कर्ज और उपभोक्ता मांग में कमी के चलते औद्योगिक उत्पादन में सुस्त माहौल बना रहा।
मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का प्रदर्शन इस दौरान सबसे निराशाजनक रहा। सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद औद्योगिक उत्पादन में तेज सुधार देखने को नहीं मिला है। वहीं, खुदरा महंगाई की दर में लगातार कमी हो रही है। अप्रैल में महंगाई के आंकड़ों और मार्च के औद्योगिक उत्पादन की निचली दर ने एक बार फिर ब्याज दरों में कमी के लिए माकूल माहौल तैयार कर दिया है। अलबत्ता खुदरा खाद्य महंगाई दर अब भी पांच फीसद से ऊपर है।
औद्योगिक उत्पादन में बीते वित्त वर्ष में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र ने बहुत ज्यादा वृद्धि नहीं हुई। पूरे साल में इसकी वृद्धि की दर 2.3 फीसद रही। इसके पिछले वर्ष यह क्षेत्र मात्र 0.8 फीसद की दर से बढ़ा था। बिजली क्षेत्र के उत्पादन में 8.4 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। जहां तक अन्य क्षेत्रों का सवाल है कंज्यूमर ड्यूरेबल सेक्टर में मांग की कमी पूरे साल बनी रही।
वित्त वर्ष के दौरान इसके उत्पादन में साढ़े बारह फीसद की कमी हुई। मांग और उत्पादन में कमी का रुख मार्च में भी कायम रहा और इसमें 4.7 फीसद की कमी आई। अलबत्ता पूंजीगत सामान यानी कैपिटल गुड्स क्षेत्र की विकास दर वित्त वर्ष में सकारात्मक रही और इसमें पिछले साल के 3.6 फीसद की गिरावट के मुकाबले 2014-15 में 6.2 की वृद्धि दर्ज की गई है।
जहां तक खुदरा महंगाई का सवाल है, खाद्य उत्पादों में दालों की कीमतों में अभी बढ़त बनी हुई है। अप्रैल में इसकी कीमतें करीब साढ़े बारह फीसद बढ़ी हैं। सब्जियों की कीमतों में वृद्धि का स्तर 6.63 फीसद रहा है, लेकिन चीनी कीमतों में करीब छह फीसद की गिरावट दर्ज की गई है।