योजना को अब भारतनेट के नाम से जाना जाएगा और इसकी लागत भी मौजूदा 20 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर लगभग 72 हजार करोड़ रुपये हो जाएगी। संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को भारतनेट के प्रस्ताव पर एक विस्तृत प्रेजेंटेशन पीएम मोदी के समक्ष पेश किया।
लगभग एक घंटे तक चले इस प्रेजेंटेशन में भारतनेट के तहत वर्ष 2017 तक हर गांव और देश के हर संस्थान को बेहद तेज गति से चलने वाले इंटरनेट ढांचे (गति दो एमबीपीएस से लेकर 20 एमबीपीएस तक) से जोड़ने का ब्योरा दिया गया।
एनओएफएन को लेकर पिछले कई वर्षों से बात हो रही है, लेकिन इसकी प्रगति अभी तक काफी धीमी है। देश के सात लाख गांवों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने की योजना लक्ष्य से काफी दूर है।
जाहिर है कि मोदी सरकार अगर हर घर को इंटरनेट से जोड़ने की व्यवस्था करती है तो उसके लिए अगले दो वर्षों के दौरान युद्ध स्तर पर काम करना होगा। यह सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में एक साबित हो सकती है जो मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करेगी।
राजग सरकार ने एनओएफएन की समीक्षा के लिए समिति बनाई थी। समिति ने इसके मौजूदा स्वरूप पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा था कि यह देश की बदलती हुई जरूरतों के मुताबिक नहीं है। समिति ने ही हर गांव नहीं बल्कि हर घर को इंटरनेट से जोड़ने के लक्ष्य को लेकर नेटवर्क लगाने का सुझाव दिया है।
अभी यह कार्यक्रम तमाम लक्ष्यों से काफी पीछे चल रहा है। इस कार्यक्रम की देरी की वजह से ही भारत ब्रॉडबैंड कनेक्शन के मामले में भूटान और नेपाल जैसे देशों से भी पीछे है।