11 अप्रैल से शुरू हुए जल सत्याग्रह पर पुलिस की खुफिया नजर लगातार बनी हुई है। आंदोलन शुरू होने के दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल घोघलगांव के पास हाथिया बाबा मंदिर प्रांगण में रिजर्व रखा गया था। कुछ दिन बाद यह पुलिस बल हटा लिया गया। आंदोलन बढ़ते रहने और समझौते की कोई संभावना नहीं होने के बाद बीते दो दिन से पुलिस का मूवमेंट बढ़ गया। शुक्रवार-शनिवार की रात एखंड में भी पुलिस मौजूद रही। शनिवार दिन में ओंकारेश्वर, सनावद और गोल में पुलिस की आवाजाही बनी रही। पुलिस के साथ जिला प्रशासन के अफसर भी पहुंचे थे।
कोर्ट के आदेश का पालन करो
शाम 6.30 बजे घोघलगांव पहुंचे अफसरों और पुलिस को ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। ग्रामीण बाबूलाल खंडेलवाल ने अफसरों से सीधा सवाल दागा कि यहां क्या लेकर आए हो। अफसरों ने जवाब दिया कि हमें शासन ने भेजा है। एक ग्रामीण ने कहा कि शासन ने भेजा है तो पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करो। जमीन के बदले जमीन दो। अजय गोस्वामी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रहे हो और हमारे शांतिपूर्ण आंदोलन में खलल डालने क्यों आ गए हो। इसके बाद पुलिस और अफसर घोघलगांव से लौट गए।
विदित हो कि 12 मई को घोघलगांव में ही किसान सम्मेलन का आयोजन भी किया गया है इसमें दिल्ली से आम आदमी पार्टी के बड़े नेता संजयसिंह या मनीष सिसोदिया के आने की चर्चा चल रही है। माना जा रहा है कि इसके मद्देनजर पुलिस सक्रिय हुई है। एडिशनल एसपी गोपाल खांडेल ने बताया कि हम कानून व्यवस्था की दृष्टि से भ्रमण पर गए थे।
23 सत्याग्रहियों की हालत बिगड़ी
नर्मदा बचाओ आंदोलन के अनुसार बिना जमीन बिना मुआवजा लिए जिंदगी भी मुश्किल दौर में हैं। लगभग 23 सत्याग्रहियों की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। उन्हें दैनिक नित्यकर्म के लिए लिए उठाकर ले जाना पड़ रहा है। पैरों से खून आने के कारण मछलियों का काटना भी बढ़ गया है। विस्थापितों को नित्यकर्म के आने-जाने के लिए कुर्सी बनवाई गई है।