फसली नुकसान और लाखों के कर्ज से परेशान होकर रोजा के गांव सरसवां के 55 वर्षीय जय कुमार ने पेड़ से लटकर फांसी लगा ली। उनका शव गांव से करीब पांच किमी के फासले पर सेहरामऊ दक्षिणी क्षेत्र के गांव दारापुर चठिया के जंगल में पेड़ पर लटका मिला। इसके बाद रोजा और सेहरामऊ थानों के पुलिस के बीच सीमा विवाद उलझने से करीब 17 घंटे तक शव पेड़ पर ही लटका रहा।
जय कुमार के बेटे विमलेश ने बताया कि उनके पिता ने 22 बीघा जमीन में गेहूं की बुवाई के लिए बैंक से 1.5 लाख रुपये लोन लिया था। इससे पहले, वर्ष 2012 में गांव के लोगों से एक लाख रुपये उधार लेकर खेती और बेटे की शादी में खर्च किए।
फसल कटने के बाद गहाई होने पर सिर्फ छह क्विंटल गेहूं मिलने पर जय कुमार परेशान रहने लगे। इसी परेशानी के चलते उन्होंने एक माह के अंदर दो बार घर में फांसी लगाने की कोशिश की, लेकिन घरवालों ने बचा लिया।
विमलेश के अनुसार मंगलवार को उसके पिता दिन में करीब 11 बजे घरवालों को बिना कुछ बताए चले गए। देर शाम दारापुर चठिया के एक परिचित ने गांव के जंगल में आम के पेड़ से उनका शव लटका देखा। इसके बाद शाम छह बजे रोजा पुलिस को इसकी इत्तला दी गई, लेकिन रोजा पुलिस ने क्षेत्र अपना होने से इनकार कर दिया।
बाद में सेहरामऊ दक्षिणी थाने जाने पर पुलिस ने यह कहकर लौटा दिया कि मृतक रोजा क्षेत्र से रवाना हुआ, इसलिए वहीं की पुलिस से मदद मांगो। किसी भी थाने की पुलिस के मौके पर न जाने के कारण घर और गांव के लोगों ने ही रात भर पेड़ के पास बैठकर पहरा दिया।
इस बीच सीमा विवाद की यह जानकारी अफसरों तक पहुंची तो सेहरामऊ दक्षिणी पुलिस को ही पंचनामा भरने को कहा गया। तब कहीं जाकर बुधवार सुबह 11 बजे शव उतारा गया और सेहरामऊ दक्षिणी पुलिस ने शव पोस्टमार्टम को भेजा। इस तरह शाम छह बजे से अगले दिन 11 बजे तक 17 घंटे तक शव यूं ही लटका रहा।
बेटी की शादी को लेकर थी फिक्र
जय कुमार के खुदकुशी कर लेने से उनका बेटी आरती के हाथ पीले करने का अरमान भी पूरा नहीं हो पाया। उनकी पत्नी जयमाला ने बताया कि बेटी की शादी को लेकर उन्हें बहुत फिक्र थी। सोचा था फसल पर आरती को ब्याह देंगे, लेकिन गेहूं ज्यादा नहीं निकला तो जय कुमार की परेशानी भी बढ़ गई।