छत्‍तीसगढ़ में करोड़ों का जलाशय, खेत में नहीं बूंद भर पानी

कोरबा (निप्र)। करोड़ों की लागत से जल संसाधन विभाग द्वारा निर्मित बताती जलाशय की उपयोगिता शून्य ही साबित हो रही है। तकनीकी गुणवत्ता के अभाव में जलाशय में जल भराव संभव नहीं होने के कारण जलाशय की प्यास वर्षों से नहीं बुझ सकी है।

जल भराव के अभाव में क्षेत्र के किसान न तो रबी फसल ले पा रहे हैं और न ही इसकी उपयोगिता खरीफ फसल में किसानों के लिए कारगर साबित हो रहा है। विभाग द्वारा जलाशय को हालिया स्थिति में छोड़ दिए जाने के कारण जलाशय की दशा दयनीय होती जा रही है।

वनभूमि में अब तक जितने भी जलाशय का निर्माण किया गया उसकी उपयोगिता पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है। इस कड़ी में करतला विकासखंड के ग्राम बताती में वर्ष 1996 में 23 करोड़ की लागत से बताती जलाशय का निर्माण शुरू किया गया।

जल स्त्रोत की संभावना होने के बावजूद वन भूमि में निर्मित इस जलाशय को उपयोगी साबित जल संसाधन द्वारा नहीं किया जा सका है। विभागीय अधिकारियों द्वारा इसके पहले इस जलाशय के जीर्णोद्धार के नाम पर अब तक विभाग की ओर से राशि का बंदरबाट किया जाता रहा है।

जलाशय में व्यवस्थित जल भराव से बताती, पसरखेत, सहित आसपास के लगभग 630 एकड़ भूमि सिंचित हो सकता है। हालिया स्थिति यह है कि तीन ओर से पहाड़ी से घिरे इस जलाशय को सामने की ओर से तटबंध बनाया गया है।

तटबंध की गुणवत्ता सही नहीं होने के कारण भराव का पानी सिपेज हो कर बह जाता है। जलाशय में बकायदा नहर का निर्माण किया गया है, किंतु पुल से वाल्व खराब होने के कारण नहर मार्ग से पानी सिपेज हो कर पानी व्यर्थ बह जाता है। नियमानुसार जलाशय के मेंटेन के लिए प्रतिवर्ष राशि जारी की जाती है, किंतु इस जलाशय की दशा यथावत है।

क्षेत्र में कृषि भूमि में बेहतर फसल की अपार संभावना होने के बाद भी सिंचाई योजना के लिए दी गई सुविधा भष्ट्राचार की भेंट चढ़ गई है। इस कड़ी मे धवन नाला पर डायवर्सन का निर्माण वन विभाग से स्वीकृति लिए बगैर ही शुरू कर दी गई थी। वन विभाग द्वारा रोक लगा दिए जाने के बाद 40 फीसदी पूरा हो चुके डायवर्सन का हाल बेहाल है। नहर का निर्माण के लिए अब जल संसाधन विभाग एनओसी के लिए आवेदन पर आवेदन कर रहा है। बगैर अनुमति के निर्माण कार्य शुरू कर विभागीय राशि का दुरूपयोग किया गया है।

एक ओर जल संसाधन विभाग द्वारा जल कर के रूप में बेहतर राजस्व प्रदान करने का दावा किया जा रहा है। इधर कई जलाशयों में जल भराव नहीं होने से किसानों से जलकर राजस्व लिया जाना संभव नहीं हो रहा है। सिंचाई की सुविधा नहीं होने के कारण सफेद हाथी साबित हो चुके उपयोगहीन जलाशयों के निर्माण पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जलाशय निर्माण के समय किसानों को आस बंधी थी कि जलाशय निर्माण के सिंचाई सुविधा का लाभ मिलेगा, किंतु बरसात के बाद भी पानी का अपेक्षित भराव नहीं होने के कारण जलाशय किसानों के लिए उपयोगहीन साबित हो रहा है।

इनका कहनाहै

बताती सहित अन्य उपयोगहीन जलाशयों के सुधार कार्य के लिए चिन्हित किया गया है। उपयोगी बनाने के लिए विभागीय स्तर पर कारगर कदम उठाया जाएगा, ताकि किसानों को सिंचाई सुविधा का लाभ मिल सके। धवन नाला पर बने डायवर्सन का मैंने खुद मुआयना किया है। 40 फीसदी निर्माण कार्य पूर्ण हो चुके इस योजना को मूर्तरूप देने के लिए वन विभाग से अनुमति मांगी गई है।

– आरपी शुक्ला, कार्यपालन अभियंता, जल संसाधन विभाग

 

 

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