उल्लेखनीय है कि बिसरा जांच को फॅरेंसिक साइंस की फाइनल रिपोर्ट मानी जाती है। विसरा रिपोर्ट के आने के बाद बड़ा सवाल यह है कि अब पुलिस जांच की दिशा क्या होगी? क्योंकि अब तक पुलिस रायपुर, खम्हारडीह स्थित महावर फार्मा में बनी सिप्रोसिन को इस घटना के लिए जिम्मेदार मान रही थी।
महावर फार्मा के संचालक रमेश और सुमित दोनों घटना के बाद से जेल में हैं। उन्हें जमानत नहीं मिल रही है। इस पूरे मामले की जांच बिलासपुर की चकरभाठा थाना पुलिस कर रही है।
राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने मौके से मिली दवा सिप्रोसिन और आईबूप्रोफेन के अलग-अलग सैंपल को जांच के लिए देश की अलग-अलग 4 लेबोरेटरी में भेजा था। इनमें से लखनऊ स्थित सीडीआरआई की रिपोर्ट आनी शेष है।
लखनऊ के अलावा 4 लेबोरेटरी में से सिर्फ श्रीराम इंस्टिट्यूट दिल्ली ने रिपोर्ट में लिखा है कि दवा में चूहामार जहर यानी रेट पॉइजन मिला हुआ है। यह निजी लेबोरेटरी है, जिसकी रिपोर्ट को कोर्ट मान्य नहीं करता है। दूसरी सच्चाई यह है कि प्रत्येक लेबोरेटरी ने दवा को सबस्टैंडर्ड (अमानक) करार दिया है, साथ ही उसमें एंटीबायोटिक की जितनी मात्रा होनी थी, उससे बेहद कम पाई गई है।
जब जहर नहीं तो मौत कैसे? उलझती जा रही है गुत्थी-
1- क्या ऑपरेशन के दौरान लापरवाही बरती गई? तो डॉक्टर दोषी हैं, लेकिन 83 में से 14 महिलाओं की जान जाना, डॉक्टर्स की एक लापरवाही से कैसे संभव है?
2- अगर मौत का कारण इन्फेक्शन है तो किस इन्फेक्शन की वजह से मौत हुई?
3- एंटीबायोटिक दवा सिप्रोसिन अमानक पाई गई है, उसने असर नहीं दिखाया। मौत का यह भी कारण हो सकता है। लेकिन यह दवा तो सभी 83 महिलाओं को दी गई थी।
किसकी रिपोर्ट में क्या मिला?
सीडीएल, कोलकाता (सरकारी लैब)- ‘नॉट फॉर ए स्टैंडर्ड क्वालिटी’।
श्रीराम कॉलेज, दिल्ली (निजी लैब)- जहरीला पदार्थ (जिंक फासफाइट) का जिक्र। चूहों पर जांच की गई, वे मर गए।
क्वालिकेम लेबोरेटरी, नागरपुर- मेडिसिन सबस्टैंडर्ड।
सीडीआरआई, लखनऊ- यहां भी भेजे गए हैं सैंपल। लैब की रिपोर्ट का इंतजार है।
नसबंदी कांड- एक नजर
पेंडारी के नेमीचंद जैन चैरिटेबल ट्रस्ट अस्पताल में आठ नवंबर 2014 को तत्कालीन सीएमएचओ बिलासपुर डॉ. आरके भांगे की देखरेख में नसबंदी शिविर का आयोजन किया गया था। इसमें दूरबीन पद्धति से 83 महिलाओं के ऑपरेशन किए गए थे।
ऑपरेशन के बाद 14 महिलाओं की मौत हो गई थी और कुल 19 मौत की पुष्टि हुई है। मामले में सीएमएचओ बिलासपुर को बर्खास्त, राज्य नोडल अधिकारी परिवार कल्याण विभाग डॉ. केसी उराव को निलंबित और स्वास्थ्य संचालक डॉ. कमलप्रीत सिंह को पद से हटा दिया गया था।
महावर फार्मा में बनी दवा सिप्रोसिन 14101सीडी बैच की दवा में जहर की पुष्टि हुई थी, जबकि सरकारीलैब ने दवा को ‘नाट फॉर स्टैंडर्ड क्वालिटी’ करार दिया है। मामले की न्यायिक जांच जारी है, पुलिस और राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग अपने स्तर पर जांच कर रहे हैं।
मौत का कारण पता चल सकता है
विसरा मानव अंग होते हैं। मानव के शरीर का कोई भी अंग हो सकता है, इसकी जांच लेबोरेटरी में होती है। केमिकल प्रोसेस कर मौत का कारण जाना जा सकता है। डॉ. आरके सिंह, विभागाध्यक्ष, फॅरेंसिक साइंस विभाग, रायपुर मेडिकल कॉलेज
जहर का जिक्र नहीं
पेंडारी नसबंदी कांड में मृत महिलाओं का बिसरा जांच के लिए एफएसएल भेजा गया था। कुछ बिसरा रिपोर्ट मिली है, उनमें कहीं भी जहर का जिक्र नहीं किया गया है। (अब आपकी जांच की दिशा क्या होगी, बोल…) मैं कोर्ट में हूं, बाद में बात करता हूं) एसएन शुक्ला, थाना प्रभारी, चकरभाठा, बिलासपुर
जांच रिपोर्ट भेज दी गई है
जांच रिपोर्ट तो भेज दी गई है, आपको इसके बारे में डॉ. गुप्ता बता सकते हैं। (कहने पर कि डॉ. गुप्ता नहीं बता रहे हैं तो बोले…) आरटीआई में तो आप ले सकते हैं। एमडब्ल्यू अंसारी, संचालक, स्टेट एफएसएल