वाशिंगटन। वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर वर्ष 2017 तक 8 फीसदी पर पहुंच सकती है। इसके साथ ही भारत में मजबूत विस्तार तथा कच्चे तेल की अनुकूल कीमतों के चलते दक्षिण एशिया की आर्थिक वृद्धि को रफ्तार मिलेगी।
वर्ल्ड बैंक ने अपनी छमाही रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2015-16 में देश की जीडीपी की वृद्धि दर 7.5 फीसदी रहने का उम्मीद है, लेकिन 2016-2018 के दौरान देश में निवेश की वृद्धि 12 फीसदी प्रतिशत तक पहुंच जाएगी, जिसके कारण वर्ष 2017-18 तक भारत की विकास दर 8 फीसदी पर पहुंच सकती है।
विश्व बैंक की द्विवार्षिक दक्षिण एशिया आर्थिक फोकस रिपोर्ट में कहा गया है कि खपत बढ़ने और निवेश बढ़ने से वर्ष 2015 से 2017 के दौरान क्षेत्र की वृद्धि दर 7 फीसदी से बढ़कर 7.6 फीसदी तक पहुंच जाएगी। भारत की कोशिश ग्रोथ को खपत से निवेश की ओर शिफ्ट करने की तरफ है। जबकि इस समय चीन इससे विपरित रुख पर आगे बढ़ रहा है।
सुधारों से बढ़ रहा निवेश का माहौल
वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत सरकार की ओर से आर्थिक सुधार की दिशा में उठाए जा रहे कदमों का निवेश के सेंटीमेंट पर सकारात्मक असर हो रहा है। निवेशकों का रुझान भारतीय अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट का असर दक्षिण एशिया क्षेत्र के अलग-अलग क्षेत्रों में घरेलू कीमतों पर देखा जा रहा है।
क्रूड के गिरते दाम से महंगाई पर लगाम
वर्ल्ड बैंक ने रिपोर्ट में कहा है कि ग्लोबल मार्केट में सस्ते कच्चे तेल और खाद्य पदार्थों की अनुकूल कीमतों के चलते महंगाई धीरे-धीरे नीचे आ रही है। विकासशील देशों में दक्षिण एशिया उच्च महंगाई दर से जूझ रहा था, लेकिन महंगाई दर एक साल के निचले स्तर पर हैं। मार्च 2013 में इस क्षेत्र की खुदरा महंगाई की वृद्धि दर 7.3 फीसदी थी। मार्च 2015 में यह घटकर 1.4 फीसदी पर आ गई। वर्ल्ड बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री मार्टिन रामा का कहना है कि क्रूड की कीमतों में आई गिरावट का सबसे अधिक फायदा दक्षिण एशिया क्षेत्र को मिला है।