दरअसल, राजस्थान में कई गांवों में कुछ जमीनें वहां के मंदिरों के नाम दर्ज है। यह मंदिर माफी की जमीनें कहलाती है। इन खेतों के मालिक उस मंदिर के देवी-देवता होते हैं। मंदिर की समिति किसानों को ये खेत ठेके पर देती है और जो उपज होती है, उसमें से कुछ हिस्सा मंदिर को मिलता है और कुछ खेती करने वाले किसान को। बारिश में इन मंदिरों की जमीनों पर हुई खेती भी बर्बाद हो गई है और सर्वे रिपोर्ट में मुआवजे के लिए भेजी गई सूचियों में किसानों के साथ देवी-देवताओं के नाम भी हैं।
जैसे बूंदी जिले में नौलख जी महाराज, कल्याण जी महाराज, चामुण्डा माता जैसे देवी-देवताओं के नाम मुआवजे के लिए बनी सूची में जोड़कर भेजे गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि सूची में तो वही नाम जाएगा जिसके नाम से जमीन दर्ज है, वह चाहे कोई व्यक्ति हो या देवी-देवता।