लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बेमौसम बारिश से बर्बादी के कगार पर पहुंचे किसानों को कुदरती कहर से कहीं ज्यादा दर्द सरकारी अब मुआवजे के नाम पर दिया जा रहा है। एक तरफ फसलों की तबाही तो दूसरी ओर सदमे से टूटती सांसों से कृषक परिवारों पर दोहरी मार पड़ी है। बादलों की गडगड़ाहट अब भी किसानों में खौफ पैदा कर देती है, इसके बावजूद दूसरों का पेट भरने वाले किसानों को प्रदेश सरकार मुआवजे के नाम पर छल रही है।
सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश सरकार ने फैजाबाद के कुछ किसान को मुआवजे के तौर पर 75 रुपये का चेक भेजा है। हालांकि कुछ अन्य किसानों को 100, 125, 150 व 230 रुपये के चेक मिले हैं। मामला सुर्खियों मेें आने के बाद अब कैंप लगाकर किसानों के चेक बदले जा रहे हैं। इस बीच, फैजाबाद में किसानों को चेक देने वाले लेखपाल को सस्पेंड कर दिया गया है।
पता चला है कि कई जगहों पर मर चुके लोगों के भी चेक बना दिए गए हैं तो कहीं पर कब्रिस्तान की जमीन पर भी चेक बने हैं। बांदा के किसानों को 600 से 700 रुपये का चेक मिला है। हालांकि कई किसान ऐसे भी हैं, जिन्हें ये रकम भी नहीं नसीब हुई। जिन किसानों को पैसे मिले हैं, वो अब इस सोच में हैं कि वो इसका क्या करेंगे।
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उप्र किसान यूनियन के प्रदेश सचिव कमलेश द्विवेदी का कहना है कि किसानों के साथ मजाक हुआ है। उनके मुताबिक, किसान सबका पेट भरता है, लेकिन खुद आत्महत्या करने को मजबूर हैं।
मुआवजे पर अब सियासत भी शुरू हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी फैजाबाद के उन गांवों में गए, जहां राहत देने के नाम पर किसानों को छला गया है।