जहां सरकार तो क्या सरकार का कोई नुमाइंदा भी पिछले बीस वर्षों से नहीं पहुंच पाया है। इन गांवों से जिला अस्पताल की दूरी तकरीबन 30 किमी की है जहां से बीमार होने पर मरीजों को ग्रामीण चारपाई में कंधों पर लाद कर जिला अस्पताल बीजापुर तक पहुंचाते हैं।
रेडडी निवासी संतोष चिन्ना, जोजेर निवासी नारायण और पुसनार निवासी पुनेम सन्नू का कहना है कि पिछले 20 वर्षों से सरकार नदी के उसपार नही पहुंच सकी है नतीजन उन गांवों के ग्रामीणों को शिक्षा स्वास्थ्य और पेयजल जैसे बुनियादी सुविधाओं को तरसना पड़ता है।
संचार सेवाओं की कमी के कारण इन गांवों तक सरकार की 108 सेवा भी नही पहुंच पाती है परिणाम स्वरूप बीमार ग्रामीणों को चारपाई में लेकर दो लोग 25 से 30 किमी का सफर तय कर बीजापुर पहुंचते हैं। इन आस पास के क्षेत्रों की सुविधा के लिए रेड्डी में दो वर्ष पूर्व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के लिए दो मंजिला भवन भी बनाया गया है परंतु अब तक इस भवन का ना तो लोकार्पण किया गया है और ना ही डाक्टरों की पदस्थापना की गई है।
ऐसा लगता है मानों सरकार अस्पताल बनाकर डाक्टर देना ही भूल गई है। यही हाल क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था का भी है चिन्नाजोजेर में एक स्कूल भवन तो जरूर है परंतु वहां पैंतीस बच्चों के लिए महज एक शिक्षक की पदस्थापना की गई है जो बारिश के दिनों चार महिनों तक बंद रहता है क्योंकि गांव तक पहुंचने पुल की व्यवस्था नहीं है वहीं दूसरी ओर चिन्ना जोजेर के आगे जितने भी गांव हैं उन गांव में स्कूल भवन तक नजर नहीं आता। अधिकारी या प्रशासन हमेशा नक्सल प्रभावित इलाका होने के नाम पर पहुंचने में अपनी असमर्थता ही जताते हैं।