तीन लाख हेक्टेयर क्षेत्र में पहुंची सुंगधित पौधों की खेती

पारंपरिक खेती लगातार नुकसान का सौदा साबित होती जा रही है, इसलिए किसानों का रुझान गैर पारंपरिक खेती की तरफ बढ़ रहा है। देश में इस समय तीन लाख हेक्टेयर से भी ज्यादा क्षेत्र में औषधीय एवं सुगंधित पौंधों की खेती की जा रही है।

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी मंत्री हर्षवर्धन का कहना है कि देश औषधीय एवं सुगंधित पौंधों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन सकता है। डॉक्टर हर्षवर्धन ने उत्तराखंड के पुरारा में केंद्रीय औषधि एवं सुगंधित पौंध संस्थान (सीमैप) के केंद्र के निरीक्षण के दौरान यह बात कही। सीमैप वैज्ञानिक एवं औद्यौगिक अनुसंधान परिषद की प्रयोगशाला है, जिसका मुख्यालय लखनऊ में है। उत्तराखंड में इसके दो केंद्र पुरारा एवं पंतनगर तथा बेंगलूर और हैदराबाद में एक-एक केंद्र है।

डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि सीमैप द्वारा विकसित औषधीय और सुगंधित पौंधों की खेती तीन लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल का आंकड़ा पार कर चुकी है। सालाना 2500 करोड़ रुपये का उत्पादन इससे हो रहा है। साथ ही छह करोड़ कार्यदिवसों का भी सृजन होता है। उन्होंने कहा कि इससे आयुष उद्योग को भी बढ़ावा मिल रहा है जिसका घरेलू बाजार इस समय पांच सौ करोड़ और निर्यात दो सौ करोड़ है।

डॉक्टर हर्षवर्धन ने इस दिशा में शोध पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि औषधीय और सुंगधित पौंधों की भूमिका दवा के साथ-साथ सौंदर्य प्रसाधन सामग्री के लिए भी महत्वपूर्ण है जिसका बाजार तेजी से बढ़ रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *