उत्तर पश्चिमी महाराष्ट्र की आदिवासी महिलाओं में आयोडीन की कमी को पूरा करने के लिए उन्हें आयोडीन युक्त बिंदियां बांटी जा रही हैं। पिछले माह नासिक और अहमदनगर की आदिवासी महिलाओं को ये आयोडीन युक्त बिंदी बांटी भी जा चुकी हैं।
नासिक की एनजीओ नीलवसंत मेडिकल फाउंडेशन एंड रिसर्च सेंटर की अध्यक्ष डॉ. प्राची पवार ने बताया, ”पिछले माह इस क्षेत्र की हर महिला को 30 आयोडीन बिंदियां दी गई थीं जो प्रतिदिन शरीर में आयोडीन के 100 से 150 माइक्रोग्राम जरूरतों को पूरा करती हैं।”
आयोडीन युक्त बिंदी का आइडिया ग्रे ऑफ गुड नामक संस्था ने सिंगापुर में लाइफ सेविंग डॉट जीवन बिंदी नाम से पेश किया था।
चूंकि आयोडीन त्वचा से भी शरीर में प्रभावी तौर पर प्रवेश कर सकता है इसलिए इसके सॉल्यूशन में बिंदी को डुबोकर यह बिंदी तैयार की गई है।
गुड ऑफ ग्रे के अकाउंड निदेशक गौरव अरोड़ा के अनुसार, ”लगभग सभी भारतीय महिलाएं बिंदी लगाती हैं। अगर इस बिंदी को आयोडीन के पैच में बदल दिया जाए तो उनकी जीवनशैली में बिना किसी बदलाव के उन्हें आयोडीन की डोज दी जा सकती है।”
नेशनल आयोडीन डिफिशियेंसी डिसॉडर कंट्रोल प्रोग्राम के आंकड़ों की मानें तो देश में 7.1 करोड़ महिलाएं आयोडीन की कमी का शिकार हैं।