छत्तीसगढ़ में साल 2015-16 में चार रुपये अस्सी पैसे में कुपोषण दूर किया जायेगा। यह राज्य सरकार का आकड़ा है। सीजी डॉट कॉम के मुताबिक छत्तीसगढ़ के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि, "वित्तीय वर्ष 2015-16 में पूरक पोषण आहार के लिए 470 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया गया है।" विज्ञप्ति के मुताबिक " एकीकृत बाल विकास सेवा योजना के तहत करीब 50 हजार आंगनबाड़ी और मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से 26 लाख 62 हजार बच्चों और महिलाओं को पूरक पोषण आहार वितरित किया जा रहा है।"
छत्तीसगढ़ में 26।62 लाख बच्चों तथा महिलाओं के लिये साल भर में कुल 470 करोड़ रुपये आवंटित किये गयें हैं। जिसका अर्थ होता है कि हरेक के लिये साल में 1,765 रुपयों का प्रावधान है। इस प्रकार से प्रतिदिन प्रति बच्चे तथा महिलाओं पर पूरक पोषण आहार के लिये मात्र 4.80 रुपये खर्च किया जा सकता है।
तमाम महंगाई कम होने के दावों के बीच इसे आसानी से समझा जा सकता है कि इस रकम से किस तरह से गर्म पके हुए भोजन में चावल, सब्जी, मिक्स दाल, सोया तेल और नाश्ते में रेडी-टू-ईट फूड, उबला भीगा देशी चना, गुड़, भुना मूंगफली दाना दिया जा सकता है।
इसके अलावा छह माह से तीन वर्ष आयु के सामान्य और गंभीर कुपोषित
बच्चे तथा गर्भवती व शिशुवती माताओं को टेक होम राशन के अन्तर्गत गेंहूं
आधारित रेडी-टू-ईट फूड का वितरण किया जा रहा है। छह माह से तीन वर्ष के
सामान्य बच्चों को 135 ग्राम, छह माह से तीन वर्ष के गंभीर कुपोषित बच्चों
को 211 ग्राम, तथा गर्भवती व शिशुवती माताओं को 165 ग्राम रेडी-टू-ईट फूड
दिया जा रहा है।
इसके अलावा 20 ग्राम मुर्रा लड्डु तथा डबल
फोर्टिफाइड नमक भी वितरित किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि गैर सरकारी
संगठन जन स्वास्थ्य सहयोग के अनुसार छत्तीसगढ़ में पांच साल से छोटे बच्चों
में से 65 फीसदी कुपोषण से प्रभावित हैं तथा इनमें से करीब 50 फीसदी
बच्चों की मौत का कारण कुपोषण ही है।
उल्लेखनीय है कि वित्तीय वर्ष
2015-16 के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग और समाज कल्याण विभाग की 1010
करोड़ 98 लाख 46 हजार रूपए का बजट है। क्या इसके बाद भी हम उम्मीद करें कि
छत्तीसगढ से कुपोषण मिटाया जा सकता है। यदि इतने पैसे कुपोषण मिटाने के
लिया काफी हैं तो हमारे देश के सवा अरब जनसंख्या का कुपोषण मात्र सवा छः
अरब रुपयों में मिटाया जा सकेगा। गणित तो यही कहता है।