याचिका में गत तीन अप्रैल को एनडीए द्वारा जारी किए गए भूमि अधिग्रहण संशोधित अध्यादेश को निरस्त करने की गुहार लगाई गई है।
पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह के माध्यम से दाखिल याचिका में कहा कि महज इसलिए कि सरकार को राज्यसभा में बहुमत नहीं है, उसे अध्यादेश के जरिए कानून को जारी रखने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए।
संवैधानिक वैधता को चुनौती दी
याचिका में कहा गया कि अध्यादेश से नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता को नियंत्रित नहीं किया जा सकता।
संविधान के अनुच्छेद 123(2)(ए) के तहत अध्यादेश को संसद के दोनों सदनों से पास कराना जरूरी है।
संसद सत्र शुरू होने के छह हफ्ते के भीतर पारित न होने पर यह अध्यादेश खत्म हो जाता है। सरकार इस प्रावधान का बेजा इस्तेमाल कर रही है।
इस मामले में छह अप्रैल को यह अवधि खत्म होनी थी लेकिन सरकार ने गत तीन अप्रैल को दोबारा अध्यादेश जारी कर दिया।