नई दिल्ली। असमय बारिश के कारण जिन किसानों की फसल बर्बाद हुई है, उन्हें राहत देने के लिए सरकार ने कर्ज पुनर्गठन (लोन रीस्ट्रक्चर) करने का निर्णय किया है। कर्ज पुनर्गठन के बाद प्रभावित किसानों को न सिर्फ मौजूदा ऋण चुकाने के लिए अगले फसल चक्र तक का वक्त मिलेगा बल्कि वे खरीफ फसल के लिए भी बैंकों से कर्ज ले सकेंगे। आमतौर पर किसानों को बिना पिछला फसल ऋण चुकाए आगे कर्ज नहीं मिल पाता है। हालांकि, प्रभावित किसानों को ब्याज-छूट (इंट्रेस्ट सबवेंशन) का लाभ मिलेगा या नहीं, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है।
बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से तबाह हुई फसलों से परेशान किसानों को पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुआवजे की राशि को डेढ़ गुना कर राहत दी, बाद में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन ने बैंकों से कहा कि वे कृषि ऋण की रीस्ट्रक्चरिंग करें।
लोन रीस्ट्रक्चरिंग से किसानों को क्या लाभ होगा
देश के उत्तरी और मध्य क्षेत्र में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण 113 लाख हेक्टेयर में खड़ी रबी फसल बर्बाद हुई है। जिन किसानों ने बैंकों से कर्ज लिया था उसका भुगतान फसल चक्र की समाप्ति के बाद उन्हें करना था। बैंकों द्वारा लोन रीस्ट्रक्चरिंग किए जाने के बाद किसानों को इस कर्ज का भुगतान अगले फसल चक्र के अंत तक करना होगा। यूको बैंक के रिटायर्ड एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर वी. के. ढींगरा के अनुसार, कृषि ऋण की रीस्ट्रक्चरिंग के बाद किसानों को न केवल कर्ज चुकाने के लिए अधिक वक्त मिलेगा बल्कि वे अगली फसल के लिए भी कर्ज ले सकेंगे।
बैंकों का क्या है फायदा
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की पूर्व अर्थशास्त्री वृंदा जागीरदार के अनुसार, कृषि ऋण की लोन रीस्ट्रक्चरिंग के बाद बैंकों का एनपीए सीमित हो जाएगा। अगर लोन रीस्ट्रक्चरिंग नहीं होती है तो फसल चक्र की समाप्ति पर किसानों द्वारा लोन न चुकाने पर उसे गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) की श्रेणी में रख दिया जाता है। बैंकों के सकल एनपीए में इससे बढ़ोतरी होती है। जागीरदार के अनुसार, रीस्ट्रक्चरिंग के बाद न केवल बैंकों के एनपीए पर लगाम लगेगा बल्कि वे किसानों को नया कर्ज भी दे सकेंगे।
कृषि ऋण के लक्ष्य में बढ़ोतरी
जनवरी 2015 में अंत में कृषि ऋण में पिछले साल के मुकाबले 16.6 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2015-16 में सरकार का लक्ष्य 8.5 लाख करोड़ रुपए का कृषि ऋण वितरित करने का है। यह पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 50,000 करोड़ रुपए अधिक है।ब इसमें फसल ऋण और टर्म लोन दोनों शामिल हैं।
सरकार द्वारा किसानों के हित में उठाए गए कदम
शुरुआती आंकड़ों के अनुसार, बेमौसम बारिश से 17 फीसदी रबी की फसल प्रभावित हुई है। प्रधानमंत्री ने किसानों को मिलने वाली मुआवजे की राशि बढ़ा कर डेढ़ गुनी कर दी है। इसके अलावा बीमा कंपनियों को भी निर्देश दिया गया है कि वे किसानों के फसल बीमा का सेटलमेंट शीघ्रता से निपटाएं।