अविभाजित आंध्रप्रदेश सरकार छह साल पहले ही 52 लाख रुपए छत्तीसगढ़ शासन को सौंप चुकी है। छत्तीसगढ़ शासन के पास इस प्रोजेक्ट से सुकमा जिले को होने वाले नुकसान की जो भी दस्तावेजी जानकारी है वह आन्ध्र प्रदेश द्वारा दस साल पहले उपलब्ध कराई थी।
छत्तीसगढ़ शासन ने नुकसान के आंकलन करने कोई संयुक्त सर्वे नहीं कराया है। पोलावरम से सुकमा जिले के एक बड़े भू-भाग के डूबान में जाने की आशंका को लेकर होहल्ला और राजनीतिक दलों के बीच मची किचकिच के बीच पहली बार छत्तीसगढ़ सरकार ने डूबान का सर्वे कराने की तैयारी शुरू की है।
खास बातें
-पोलावरम बांध पूर्वी गोदावरी जिले में गोदावरी नदी पर पापीकुंडलू में बन रहा है।
-यह स्थान छत्तीसगढ़ की सीमा से 100 किमी दूर है।
-आशंका है कि बांध बनने के बाद इसके बैक वॉटर से सुकमा जिले का कुछ हिस्सा डूब जाएगा।
-इस प रियोजना के लिए 7 अगस्त 1978 को अंतरराज्यीय समझौता अविभाजित मध्यप्रदेश सरकार ने किया था।
कहा होगा नुकसान
-एक अनुमान पर आधारित प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार पोलावरम बांध के बनने से सुकमा जिले को यह नुकसान होगा।
-कोंटा नगर पंचायत के अलावा डोढ़रा, इंजरम, मूलाकिसोली पंचायतों के कुल 18 बसाहट क्षेत्र के डूबने की आशंका।
-करीब छह हजार हेक्टेयर राजस्व व वनभूमि के जलमग्न होने तथा जेके राष्ट्रीय राजमार्ग का 13 किलोमीटर हिस्सा के भी डूबने की संभावना।
-बांध बनने से 25 हजार से अधिक लोगों को विस्थापित करना पड़ेगा। इनमें 90 फीसदी आदिवासी।
-विलक्षण सांस्कृतिक धरोहर को समेटे रखने वाले दोरला जनजाति पर इस प्रोजेक्ट से सबसे ज्यादा खतरा। तत्कालीन कोंटा तहसीलदार केएल सोरी ने दोरला जनजाति के विलुप्त हो जाने की आशंका जताई थी।
जितनी रिपोर्ट उतनी बातें
पोलावरम से सुकमा को होने वाले नुकसान को लेकर जितनी रिपोर्ट आई हैं उनमें कहीं से भी एकरूपता नहीं हैं। सुकमा वन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के समय छत्तीसगढ़ शासन को जितने वनक्षेत्र का डूबान बताया था बाद में उस दावे से विभाग पलट गया था। यही हाल राजस्व विभाग का भी रहा है।
‘राज्य शासन ने पोलावरम से होने वाले नुकसान का आंकलन करने सर्वेक्षण कार्य के लिए एक करोड़ स्वीकृत किए हैं। जलसंसाधन विभाग ने राशि की मांग की थी। राशि जारी होने के बाद सर्वे के लिए प्रक्रिया शुरू की जा सकेगी।’ -पीके वर्मा, अधीक्षण यंत्री इंद्रावती परियोजना मंडल